बिलासपुरसमस्या

अपनी ही पार्टी के खिलाफ भूख हड़ताल पर उतरे देवरीखुर्द उपसरपंच

आलोक

देवरीखुर्द मैं व्याप्त समस्याओं को लेकर देवरीखुर्द के कांग्रेसी उपसरपंच और जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष ने ही अपनी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। देवरीखुर्द हाई स्कूल सड़क की जर्जर स्थिति से सब परेशान हैं। बरसात के इस मौसम में स्कूल तक पहुंचना छात्र-छात्राओं के लिए दूभर हो चुका है। बारिश के दौरान गड्ढों में तब्दील हो चुकी सड़क में कीचड़ का साम्राज्य हो जाता है। चप्पल हाथ में लेकर किसी तरह छात्र-छात्राएं स्कूल पहुंचते हैं। इसे लेकर लंबे वक्त से आंदोलन किया जा रहा है, लेकिन शासन ने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया। भाजपा के शासनकाल में भी इस सड़क की मरम्मत की और ध्यान नहीं दिया गया और अब सरकार बदलने के बाद भी स्थिति जस की तस है। लिहाजा जन भावनाओं का सम्मान करते हुए देवरीखुर्द के उपसरपंच ब्रह्मदेव सिंह ने नागरिकों के साथ भूख हड़ताल शुरू कर दी। हैरानी इस बात की है कि उनकी भूख हड़ताल को भाजपा का पूरा समर्थन मिल रहा है। भाजपा का आरोप है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा के शासनकाल में गौण खनिज मद से जारी किए गए 89 लाख में से 55 लाख रुपए को सड़क निर्माण के लिए उपयोग करने की जगह वापस कर दिया है । देवरीखुर्द की सड़क लंबे समय से यहां के रहवासियों के लिए सिरदर्द बन चुकी है। जिसे लेकर योजना कारों की राजनीति लोगों के आक्रोश को बढ़ा रही है।

करीब महीने भर पहले भी छात्रों और अभिभावकों ने इस मुद्दे पर शाला प्रवेश उत्सव का बहिष्कार किया था और इस बार मांग पूरी ना होने पर देवरीखुर्द के जनप्रतिनिधियों और नागरिकों ने मोर्चा खोल दिया है। जिनकी शिकायत है कि केवल हाई स्कूल सड़क ही नहीं अन्य सड़कें भी बेहद जर्जर स्थिति में है और देवरीखुर्द में रहना नारकीय साबित हो रहा है।

सबसे अधिक मुसीबत छात्र-छात्राओं को हो रही है , जिन्हें कीचड़ भरे रास्ते से गुजर कर रोज स्कूल जाना और आना पड़ रहा है, जाहिर है स्कूल जाने के दौरान कपड़े और पैर कीचड़ में सन जाते हैं और उस हालत में पढ़ाई करना मुमकिन नहीं हो पाता, लिहाजा इस भूख हड़ताल के बाद भी चक्का जाम जैसे कदम की चेतावनी दी जा रही है।

इस विषय में नागरिकों का आरोप है कि देवरीखुर्द सरपंच पूरी तरह जिम्मेदार है। महिला सरपंच के कामकाज को उनके पुरुष रिश्तेदार देखते हैं, जिन्हें जन भावना से कोई सरोकार नहीं है, इसीलिए कांग्रेसी उपसरपंच को अपने ही सरकार के खिलाफ मैदान में उतारना पड़ा है। अब देखने वाली बात यह है कि इस बगावती तेवर के बावजूद इस भूख हड़ताल का कितना असर यहां पड़ता है ।

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