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रतनपुर महामाया मंदिर के चुनाव पर विवाद का साया ,ट्रस्ट में एसटी एससी को शामिल करने की मांग, आशीष बने नए अध्यक्ष

डेस्क

रतनपुर महामाया मंदिर ट्रस्ट का चुनाव रविवार को होना था। इससे पहले यहां रतनपुर के नागरिकों ने बैनर पोस्टर और तख्ती के साथ पहुंच कर हंगामा करना शुरू कर दिया। महामाया मंदिर ट्रस्ट पर परिवारवाद और बाहरी लोगों के कब्जे का विरोध करते इन लोगों ने स्थानीय अध्यक्ष की मांग के साथ ट्रस्ट मे महिलाओं और एसटी एससी वर्ग के लोगों को शामिल करने की मांग की।

उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रस्ट द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ों की आय अर्जित की जाती है लेकिन इसका कोई लेखा-जोखा सार्वजनिक नहीं किया जाता। वहीं ट्रस्ट द्वारा रतनपुर के किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है, उसे भी वापस करने की मांग इन लोगों ने की है। आपको बता दें कि रतनपुर के महामाया ट्रस्ट का गठन 5 मार्च 1982 को हुआ था। तब से लेकर अब तक यहां करोड़ों रुपए के निर्माण कार्य हो चुके हैं। छोटा सा मंदिर आज विशाल आकार ले चुका है। तब यहां गिनती के चार या पांच मनोकामना ज्योति कलश जला करते थे, जिनकी संख्या 30 हजार तक पहुंच चुकी है। तीन बड़ी धर्मशालाएं बन चुकी है। 19 ज्योति कक्ष का निर्माण हो चुका है। पंचमुखी शिवालय, महामाया कुंड का सौंदर्यीकरण, मंदिर के चारों ओर शेड निर्माण के अलावा और भी कई विकास कार्य यहां हुए हैं, लेकिन अधिकांश कार्यों में मैनेजिंग ट्रस्टी और लेखापाल की ही चली है।

इसलिए ट्रस्ट में गड़बड़ी के खिलाफ कई बार यहां बगावत के सुर भी सुनाई पड़े हैं। साथ ही मंदिर ट्रस्ट पर परिवारवाद हावी होने का भी हमेशा से आरोप लगता रहा है । रतनपुर के लोगों का आरोप है कि महामाया मंदिर रतनपुर की पहचान है लेकिन इसमें शुरू से ही वंशवाद और परिवारवाद हावी रहा है और प्रमुख पदों पर बाहरी व्यक्तियों का कब्जा रहा है। ट्रस्ट के फाउंडर मेंबर ठाकुर बलराम सिंह, पूर्व मैनेजिंग ट्रस्टी रमाशंकर गोरख और ट्रस्टी प्रताप खुशलानी के निधन के बाद पिछले दिनों उनके बेटों और भाइयो को ट्रस्ट की सदस्यता दी गई। जिनमें से 2 सदस्यों को ट्रस्ट द्वारा बनाए गए नियम के विरुद्ध सदस्यता दिए जाने का आरोप लगा था। हालांकि इसमें आशीष सिंह ठाकुर को ट्रस्टी बनाए जाने पर कोई विरोध नहीं था, लेकिन अन्य 2 सदस्यों को लेकर विरोध के स्वर सुनाई पड़े थे। यहां तक कि इस मुद्दे पर मैनेजिंग ट्रस्टी सुनील सोनथालिया के इस्तीफे की भी खबर आई थी। करीब 37 साल पहले 5 मार्च 1982 को ट्रस्ट के गठन के बाद ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष रहे ठाकुर बलराम सिंह के निधन के बाद 21 जुलाई को ठाकुर बलराम सिंह के बड़े बेटे आशीष सिंह ठाकुर सहित रमाशंकर गोरख के भाई विनोद गोरख एवं प्रताप खुशलानी के भाई राजकुमार खुशलानी को ट्रस्ट की सदस्यता दी गई थी, जिसे लेकर रतनपुर में खासा आक्रोश देखा गया था। वहीं जब रविवार को महामाया ट्रस्ट का चुनाव होना था, एक बार फिर विरोध के स्वर सुनाई पड़ने लगे।

बड़ी संख्या में लोगों ने यहां पहुंचकर अपना विरोध दर्ज कराया। ट्रस्ट में परिवारवाद और वंशवाद खत्म करने की मांग के साथ ट्रस्ट में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों को भी शामिल करने की वकालत इन लोगों ने की। साथ ही कहा कि ट्रस्ट ने महिलाओं को भी शामिल किया जाए। प्रतिवर्ष आय-व्यय का लेखा-जोखा सार्वजनिक करने और किसानों की अधिग्रहित जमीन वापस करने की भी मांग लोगों ने की। बताया जा रहा है कि यह विरोध प्रदर्शन ट्रस्ट के ही किसी सदस्य के इशारे पर की गई थी। हालांकि इन विरोध प्रदर्शन के बावजूद यहां मंदिर ट्रस्ट का चुनाव निर्विरोध संपन्न हुआ और सर्व सम्मति से पूर्व अध्यक्ष ठाकुर बलराम सिंह के बड़े बेटे और कांग्रेस नेता आशीष सिंह ठाकुर अध्यक्ष चुने गए हैं ।अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने महामाया मंदिर परिसर में विकास कार्यों को गति देने और मंदिर की बेहतरी के लिए हर मुमकिन कार्य करने की बात कही है।

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