धर्म -कला-संस्कृति

सावन के अंतिम सोमवार पर शिव आराधना की धूम, जगह-जगह भंडारे का आयोजन

डेस्क

पवित्र सावन महीने के अंतिम सोमवार पर सुबह से ही शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह से ही मंदिरों से घंटे घड़ियालो की आवाज के साथ ओम नमः शिवाय का जाप मनमोहने लगा। भगवान शिव को प्रिय सावन मास की महिमा ही निराली है। कहते हैं ग्रीष्म की तपिश के बाद सावन की रिमझिम फुहारों से भोले भंडारी को शीतलता की प्राप्ति होती है और वे शांत होकर अपने भक्तों को उनकी सर्व मनोकामना पूर्ण होने का वरदान देते हैं। इसीलिए सावन का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित है, लेकिन भगवान शिव के माथे पर सज रहे चंद्रमा का दिन सोमवार है और भगवान शिव को भी सोमवार की तिथि सर्वाधिक प्रिय है इसीलिए सावन और सोमवार के संजोग पर की गई शिव आराधना विशेष फलदाई होती है। पूरे सावन भर लोगों ने सात्विक जीवन का परिपालन करते हुए शिव की आराधना की। अंतिम सोमवार को भी भक्तों का उत्साह आसमान पर नजर आया सुबह से ही पूजन सामग्री लेकर लोग शिवालय पहुंचे जहां फल फूल धतूरा आक बेलपत्र नारियल पंचामृत आदि अर्पित करते हुए भोले भंडारी का जलाभिषेक किया गया भगवान शिव तो मात्र जल और बेलपत्र से ही प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं । इसलिए उन्हें प्रसन्न करने का अवसर भक्तों ने जाने नहीं दिया।

मान्यता है कि सावन महीने में शिव आराधना करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे पति की प्राप्ति होती है इसी कामना के साथ कुंवारी कन्याओं ने सोलह सोमवार का व्रत आरंभ किया और शिव जैसे सर्वगुण संपन्न पति की कामना की।

हालांकि सावन का महीना सावन पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन तक जारी रहेगा यह सोमवार सावन महीने का अंतिम सोमवार था। इस वर्ष सावन के महीने में चार ही सोमवार की तिथियां पड़ी और इन्हीं इन सभी तिथियों पर शिव भक्तों ने पूजा अर्चना कर भगवान शंकर को प्रसन्न करने का पूरा प्रयास किया । अंतिम सोमवार पर कई स्थानों पर भंडारा लगाकर भोग प्रसाद का वितरण किया गया।

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