मस्तूरी

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं केवल नाम की….जननी सुरक्षा के नाम पर बना रिफर सेंटर, तैनात डॉक्टर नदारत

उदय सिंह

मस्तूरी – बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए स्थापित क्षेत्र के अधिकांश प्राथमिक व उपस्वास्थ्य केंद्र खुद ही बीमार है ऐसे में मरीजों के मर्ज का इलाज कौन करेगा। वही ब्लाक मुख्यालय मस्तूरी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की भारी भरकम फौज होने के बाद व्यवस्था पर वर्षो से सवाल उठता आ रहा है। विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों की ड्यूटी ब्लाक मुख्यालय में लगाने से ग्रामीण क्षेत्र के अस्पताल भगवान भरोसे चल रही है। बरसात शुरू होते ही मौसमी बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ जाता है ऐसे में इन अस्पतालों पर ही लोगो की उम्मीद रहती है कि इलाज हो सकेगा। परन्तु ये अस्पताल खुद ही बीमार नजर आ रहे है तो इलाज करेगा कौन।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मस्तूरी के अंतर्गत ब्लाक के 12 विभिन्न गावो में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की गई है जहां के कुछ भवनों की हालत भी ठीक नही है एकदम से जर्जर की स्थिति है इन सभी केंद्रों में चिकित्सक के रूप में दो दो सहायक चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति भी है परन्तु अधिकांश जगहों में एक ही चिकित्सक है उनकी भी ड्यूटी मस्तूरी मेंं लगा दी जाती है। इसके अलावा इन केंद्रों के एक एक चिकित्सक पहले से मस्तूरी में अटैच करके रखे गए है।

गांवों में जननी सुरक्षा योजना, मातृत्व सुरक्षा योजना सहित विभिन्न स्वास्थ योजनाओं के संचालन के लिए उपस्वास्थ्य केंद्र भी खोले गए है जहां सुरक्षित प्रसव कराने संसाधन उपलब्ध कराए गए थे परन्तु किसी भी उप स्वास्थ्य केंद्र में डिलीवरी नही हो पाती जिसका कारण है कि कही पानी की सुविधा नही है तो कही महिला डॉक्टर ही नही है। इसके अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में महिला डॉक्टरों की नियुक्ति होने के बावजूद सभी की ड्यूटी मस्तूरी में ही लगाई जा रही है जिससे ग्रामीण इलाकों के गर्भवती महिलाओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

सत्याग्रह न्यूज़ की टीम ने क्षेत्र के अस्पतालों की जमीनी हकीकत जानने विभिन्न अस्पतालों को देखा जहां बड़ी खामियां नजर आई।। ब्लाक मुख्यालय मस्तूरी से 30 किलोमीटर दूर नदी के किनारे कुकुर्दीकला गाँव मे लोगो की स्वास्थ्य सुविधा के लिए 10 साल पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोला गया था पर ये केंद्र शुरू से ही सुदूर इलाका होने की वजह से आज भी उपेक्षित है यहां के डॉक्टर के नाम पर सिर्फ एक एएनएम है जो पूरा अस्पताल संचालित करती है। उन्होंने बताया कि रोस्टर के अनुसार यहां दो डॉक्टरों की नियुक्ति है परंतु इनमें से एक ही कभी कभी आते है।

यहां न ही लेब टेक्नीशियन, ड्रेसर और ना फार्मासिस्ट है सभी काम के साथ महिलाओ की डिलीवरी भी कराती है। इस अस्पताल सेक्टर में आसपास के 5 गाँव भी आते जहां की कुल आबादी 10 हजार से ज्यादा है। एएनएम ममता कंवर ने बताया कि यहां स्टाफ क्वाटर भी नही है इसलिए गाँव में किराए के मकान में रहती है। लोहर्सी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक एमबीबीएस व दो आरएमए की नियुक्ति है परन्तु यहां एक से ही काम चलाया जा रहा है इस सेक्टर में 17 गाँव आते है जहाँ की कुल आबादी 30 हजार से ज्यादा है यहां के महिला चिकित्सक को भी पिछले 3 साल से मस्तूरी में अटैच पर रखा गया है।

इसके अंतर्गत 4 उपस्वास्थ्य केंद्र भी आते है जहां भी कई समस्याएं है। ऐसी ही स्थिति अमूमन क्षेत्र के अस्पतालो की है। ऐसा ही कुछ जयरामनगर, नवागांव सीपत व दर्रीघाट का है जहां महिला चिकित्सक नही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मस्तूरी में आने वाले मरीजो का कहना है कि यहां के डॉक्टर बाहर की दवा लिखते है। अस्पताल में दवा होने के बावजूद भी उन्हें नही मिल पाता, बाहर से महंगी दवा खरीदने से उन्हें आर्थिक क्षति हो रही है ऐसे में सरकार के मुफ्त दवा योजना कहा गई।।

मस्तूरी बीएमओ नंदराज कंवर का कहना है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों को रोस्टर के अनुसार फिलहाल हाल हाट- बाजार योजना के तहत ड्यूटी लगाई जा रही है और रही बात क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं की तो जहां जहां आवश्यक होती है डॉक्टर भेजे जाते है और जो भी कमी रहती है उसको पूरा करने का प्रयास तुरन्त होता है। उन्होंने कहा कि मस्तूरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है जहां पूरे क्षेत्र के मरीज आते है और 24 घँटे सेवा देना पड़ता है इसलिए यहां ज्यादा डॉक्टरों को रखा गया है। साथ ही बाहर की दवा नही लिखने हिदायत भी दी गई है फिर भी ऐसा कुछ है तो शिकायत होने पर कार्यवाही करेंगे।

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