बिलासपुर

अल्प वर्षा से उत्पन्न ताजा हालात की समीक्षा…जिला स्तरीय समिति लें सिंचाई के लिए पानी छोड़ने का निर्णय

रमेश राजपूत

बिलासपुर – कमिश्नर डॉ. संजय अलंग की अध्यक्षता में संभाग स्तरीय जल उपयोगिता समिति की बैठक आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये आयोजित की गई। बैठक में संभाग के अंतर्गत शामिल जिलों के विधायक एवं जिला कलेक्टर वर्चुअली शामिल हुए। जिलों में अल्प एवं खण्ड वर्षा से उत्पन्न हालात,फसलों की स्थिति एवं बांधों में जल-भराव पर विचार-विमर्श किया गया। कमिश्नर डॉ. अलंग ने अल्प वर्षा वाले पॉकेट को चिन्हित कर वहां दौरा करने के निर्देश कलेक्टरों को दिए हैं। उन्होंने ग्रामीणों और किसानों की मदद के लिए वैकल्पिक योजना भी तैयार रखने को कहा है। बैठक में विधायक पुन्नूलाल मोहले, डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी, डॉ.के.के धु्रव ने अपने-अपने क्षेत्रों में फसलों एवं वर्षा की ताजा स्थिति से अवगत कराया। जल उपयोगिता समिति की बैठक में सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता ए.के.सोमावार ने सिंचाई जलाशयों में जल-भराव की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि संभाग की पांच बड़ी सिंचाई परियोजनाओं के अंतर्गत बांगो परियोजना में 54 प्रतिशत, केलो परियोजना में 26 प्रतिशत, खारंग जलाशय में 88 प्रतिशत, मनियारी जलाशय में 90 प्रतिशत एवं अरपा भैंसाझार में 33 प्रतिशत जल-भराव है। बांगो एवं मनियारी जलाशय से सिंचाई के लिए पानी छोड़ दिया गया है। मध्यम परियोजना के अंतर्गत घोंघा जलाशय में 59 प्रतिशत, केडार जलाशय में 55 प्रतिशत, पुटका जलाशय में 48 प्रतिशत, किंकारी जलाशय में 62 प्रतिशत और खम्हार पाकुट जलाशय में 65 प्रतिशत जल भरा हुआ है। डॉ. अलंग ने अल्प वर्षा के हालात को देखते हुए जरूरत के मुताबिक सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश कलेक्टरों को दिए हैं। बैठक में बताया गया कि पिछले एक-दो दिनों में बारिश होने से हालात में कुछ सुधार हुआ है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। फिलहाल कोरबा जिले के चोटिया एवं पसान, जीपीएम जिले के उत्तरी मरवाही, मुंगेली जिले के लोरमी के चंदली गांव एवं आस-पास कुछ पॉकेट्स में पानी की मात्रा अपेक्षाकृत कम है। कमिश्नर ने सभी कलेक्टरों को प्रभावित इलाकों का दौरा कर नजरी आनावारी तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सिंचाई के लिए नहरों की महत्वपूर्ण भूमिका है। मनरेगा के माध्यम से इनका मरम्मत का प्रस्ताव भेजने को कहा है। जीपीएम जिले में मनरेगा के माध्यम से नहरों के मरम्मत का अच्छा काम हुआ है।

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