बिलासपुरस्वास्थ्य

विश्व रक्तदाता दिवस पर क्षमता से अधिक अपोलो पहुंच गए रक्तदाता, 170 यूनिट के बाद लौटाना पड़ा रक्त दाताओं को

प्रवीर भट्टाचार्य

14 जून शुक्रवार को विश्व रक्तदान या फिर रक्तदाता दिवस मनाया गया। स्वैच्छिक रक्तदान को प्रोत्साहित करने इस दिन बिलासपुर में कई रक्तदान शिविरों का आयोजन किया गया। 14 जून को रक्तदान दिवस मनाने के पीछे शरीर विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध वैज्ञानिक कारण लैंड स्टाइन का जन्मदिन है। 14 जून 18 67 को ही महान वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाइन का जन्म हुआ था जिन्होंने मानव रक्त में उपस्थित एग्ल्यूटिनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्त कणों का एबी और ओ समूह में वर्गीकरण किया था। आज हम जिसे ब्लड ग्रुप कहते हैं उस की खोज करने वाले महान वैज्ञानिक को उनके इस महत्वपूर्ण खोज के लिए 1930 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।

उन्हीं की याद में 1997 में डब्ल्यूएचओ ने स्वैच्छिक रक्तदान की शुरुआत करते हुए इसके साथ 124 देशों को जोड़ा, जिसमें भारत भी शामिल है। चिकित्सा विज्ञान में रक्त अत्यंत आवश्यक कारक है। जिसे उत्पन्न नहीं किया जा सकता। इसे प्राप्त करने का एकमात्र स्रोत रक्तदान ही है, लेकिन प्रोफेशनल रक्त दाताओं के रक्त से कई तरह की बीमारियां होने की आशंका रहती है वही बार बार खून बेचने से उनके रक्त की क्वालिटी भी बदतर होती है । इसीलिए भारत में भी शत-प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान को प्रोत्साहित किया जा रहा है। फिलहाल भारत में आवश्यक रक्त का केवल 75% ही उपलब्ध हो पाता है । हमसे तो आगे श्रीलंका नेपाल थाईलैंड जैसे छोटे छोटे देश हैं। इस मामले में भारत के पीछे होने की वजह से अब कई वॉलिंटियर और स्वयंसेवी संस्था आगे आकर युवाओं को रक्तदान के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं ।इन्हीं में से प्रमुख जज्बा एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी और धिति फाउंडेशन ने शुक्रवार को बिलासपुर अपोलो अस्पताल की मदद से विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया।

यहां रक्तदान के लिए रक्तदाता उमड़ पड़े। आम धारणा है कि गर्मी के मौसम में रक्तदान करने से कमजोरी आती है। इसी वजह से लोग इस मौसम में रक्तदान से कन्नी काटते हैं। बावजूद इसके जागरूक होते युवाओं ने इस दिन बढ़-चढ़कर शिविर में हिस्सा लिया। अपोलो अस्पताल स्टोरेज की क्षमता को देखते हुए केवल 170 रक्त दाताओं से ही रक्त लिया गया, हालांकि दानदाताओं की संख्या इससे कहीं अधिक थी। रक्तदान कर रक्तदाता एक साथ 4 मरीजों की जिंदगी बचा सकता है। 1 यूनिट खून के चार हिस्से किए जाते हैं जिन्हें अलग-अलग जरूरतमंद को प्रदान किया जाता है।

मानव रक्त की आपूर्ति केवल मानव रक्त से ही संभव है, पर इसके लिए स्वैच्छिक रक्तदान से बेहतर कुछ भी नहीं । हालांकि रक्तदान को लेकर कई मिथ्या धारणाएं भी है। इसी भ्रम को तोड़ने की कोशिश अपोलो जैसी बड़ी संस्थाएं कर रही है। ना तो रक्तदान करने से किसी तरह की कमजोरी आती है और ना ही इससे कोई शारीरिक नुकसान होता है। उल्टे 21 दिन में नया खून बन जाता है। वैसे भी अगर आप रक्तदान नहीं करेंगे तो भी 3 महीने में रक्त को अपने आप नष्ट हो जाना ही है, इसलिए बेहतर है कि रक्तदान कर किसी का जीवन बचाया जाए। रक्त का प्रवाह हमेशा बना रहना चाहिए, चाहे वह आपके ह्रदय से आपकी शिराओं की ओर हो या फिर आप की नसों से किसी और नसों की ओर।

शुक्रवार को विश्व रक्तदाता दिवस के मौके पर अपोलो बिलासपुर में आयोजित रक्तदान शिविर में जहां रक्त दाताओं में उत्साह नजर आया वहीं जज्बा एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी और धिति फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं में भी गजब का उत्साह दिखाते हुए एक-एक रक्तदाता की मदद की और उन्हें रक्तदान करने को प्रोत्साहित किया। संस्था द्वारा जहां अपोलो में 170 यूनिट रक्त प्रदान किया गया वही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी 30 यूनिट से अधिक रक्त इनकी मदद से संग्रहित किया गया। संस्था द्वारा प्रतिमाह थैलेसीमिया मेजर पीड़ित बच्चों को 100 यूनिट रक्त प्रदान किया जाता है इसके अलावा भी हर जरूरतमंद को रक्त उपलब्ध कराने संस्था भरसक प्रयास करती है ।

बिलासपुर में अब रक्तदान के प्रति जागरूकता बढ़ने लगी है। रक्तदाता दिवस पर जिस तरह रक्त दाताओं ने बढ़-चढ़कर शिविर में हिस्सा लिया उससे इस बात को समझा जा सकता है । ऐसे ही रक्त दाताओं को प्रोत्साहित करने के लिए रक्तदाता सम्मान कार्यक्रम का आयोजन भी अपोलो में किया गया। वही हर रक्तदान करने वालों को जज्बा और धिति फाउंडेशन की ओर से सर्टिफिकेट और मोमेंटो प्रदान किया गया । साथ ही उनसे वादा किया गया कि अगले 3 महीने में अगर उन्हें रक्त की आवश्यकता पड़ी तो संस्था उन्हें प्राथमिकता के साथ रक्त उपलब्ध कराएगी ।

error: Content is protected !!