मल्हार

एक बार फिर पुलिस कर्मियों की संवेदना आई सामने..मानसिक बीमार युवक को मानसिक चिकित्सालय में कराया भर्ती…जटिल प्रक्रियाओं को कराया पूरा

उदय सिंह

मस्तूरी – थाना क्षेत्र के मल्हार चौकी अंतर्गत ग्राम चकरबेढ़ा के पास एक बालक खाली पैर सड़क किनारे रोड पर बैठा था जिसे सड़क मे चल रहे राहगीरों ने देखा तो उस बच्चे को सड़क से थोड़ी दुरी मे बैठने को कहा जिससे किसी गाडी मे दुर्घटना का शिकार न हो फिर भी वह बालक सड़क से नहीं हटा तो कुछ ग्रामीणों ने पास जाकर उस बच्चे को समझाना चाहा ज़ब पास जाकर देखा तो उस बच्चे के बारे मे पता चला की वो बोल नहीं सकता। मंदबुद्धि हैँ जिसे आसपास के लोगो ने उसके घर माता पिता सबके बारे मे जानकारी लेनी चाही लेकिन उस बालक ने अपने गाँव घर, माता पिता के बारे मे जानकारी देने मे असमर्थ था जिसे आसपास के लोगो ने अकेला छोड़ना सही नहीं समझा और उस बालक का फोटो सोशल मीडिया मे डालकर बच्चे के बारे मे आसपास के ग्रामो मे पतासाजी किया गया जहां से कोई जवाब नहीं आने से उस बच्चे को लेकर मल्हार चौकी पहुंचे।

लेकिन सिस्टम के मारे आखिरकार पुलिस भी क्या करती उस मंदबुद्धि बच्चे क़ी देख रेख करती या अपना काम करती लिहाजा बिलासपुर चाइल्ड लाइन से कॉन्टेक्ट किया चाइल्ड लाइन वाले सबसे पहले उस बच्चे का वाट्सअप के माध्यम से फोटो मंगाए, फोटो भेजनें के उपरांत फोटो देखकर चाइल्ड लाइन के तरफ से बच्चे को 18 वर्ष से अधिक का होना बताकर चाइल्ड लाइन मे 18 वर्ष से अधिक के बच्चों को रखने मे असमर्थता जाहिर किया गया एवं सेंदरी हॉस्पिटल ले जाने क़ी सलाह दी। लेकिन आखिर उस बच्चे को कौन बिलासपुर सेंदरी ले जाये आखिरकार मल्हार चौकी प्रभारी प्रताप सिंह ठाकुर ने स्टॉफ के कमी के बावजूद अपने दो स्टॉफ आरक्षक शैलेन्द्र कुर्रे एवं अजय मधुकर को उस बच्चे को लेकर बिलासपुर भेजा लेकिन बिलासपुर पहुंचने के बाद नियम क़ानून के पचढ़े ने काफ़ी परेशान किया।

चाइल्ड लाइन वालों ने बताया क़ी पहले बालक को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मे उपस्थित करवाकर सेंदरी मे भर्ती करा सकते है लेकिन वहां एक और आदेश प्राप्त हुआ क़ी बालक को सीजीएम मे उपस्थित करवाना पड़ेगा। उसके बाद सीजीएम मे उपस्थित करवा कर फिर बालक का मुलाहिजा करवाया गया जिसके बाद आदेश हुआ क़ी उक्त बालक को सेंदरी स्थित मेंटल हॉस्पिटल ले जाया जाये 5 से 6 घंटे क़ी पूरी प्रकिया करने के बाद फिर सेंदरी क़ी हॉस्पिटल मे उस बच्चे को भर्ती किया गया।

जटिल प्रक्रिया की वजह से कोई नही देता ध्यान..

ग्रामीण क्षेत्र मे अक्सर ऐसे बालक, बालिका युवा, बुजुर्ग अपने दिमागी हालत ख़राब होने के कारण अक्सर घर वालों से दूर दूसरे जगहों पर भटकते रहते है।कही धुप मे तो कही बारिश मे भटकते रहते हैँ। या कभी कभी दुर्घटनाओ के शिकार हो जाते हैँ। लेकिन नियम कायदे कानून के चक्कर मे लोग पड़ना नहीं चाहते और किसी को जानकारी या सुचना देना नहीं चाहते अगर कोई सुचना भी दे तो नियमो के चक्कर मे फंसकर दोबारा ऐसे सहायता करने से कोसो दूर भागते हैँ।

पुलिस के साथ आम लोगों को करनी चाहिए मदद..

ऐसे मामलों में केवल पुलिस ही नही आम लोगों को भी सामने आकर मदद करनी चाहिए ताकि ऐसे हालातों में फंसे व्यक्तियों की मदद की जा सके।

error: Content is protected !!