छत्तीसगढ़रतनपुर

रॉन्ग नंबर से शुरू प्रेम कहानी का दुखान्त, आयशा का अंतिम संस्कार किस तरह करें इस पर ही गहरा गया विवाद

नियमों का पालन करते हुए पुलिस ने फैसला प्रेमजीत के पक्ष में दिया और शव को पति को सौंप दिया जिससे नाराज होकर आयशा के रिश्तेदार बुरा भला कहते हुए लौट गए

बिलासपुर मोहम्मद नासिर

जब प्यार की खुमारी हावी होती है तो फिर अमीरी गरीबी, जात पात, अच्छाई बुराई कुछ भी नजर नहीं आती,लेकिन जब यही प्यार का नशा धीरे-धीरे उतरता है तो संबंधों में तल्खी बढ़ती जाती है, जिसके नतीजे कभी-कभी बेहद गमगीन करने वाले भी होते हैं। ऐसा ही कुछ उस जोड़े के साथ भी हुआ जिन्होंने पिछले साल ही समाज के सभी दीवारों और वर्जनाओं को तोड़ते हुए इंटर रिलिजन मैरिज किया था। रतनपुर में रहने वाले प्रेमजीत साव् के साथ कोरबा की आयशा परवीन की पहली मुलाकात एक रॉन्ग नंबर से हुई, फिर दोनों की आपस में बातचीत होने लगी। बातचीत के दौरान नजदीकियां बढ़ी और दोनों एक दूसरे से मोहब्बत करने लगे। हिंदू और मुस्लिम इस जोड़े के बीच काफी कुछ बेमेल होने के बावजूद दोनों ने समाज के बंधनों को तोड़कर शादी का फैसला लिया और दोनों घर से भाग गए। जिस वक्त आयशा परवीन घर से भागी उस समय वह नाबालिग थी और उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी उसके परिजनों ने कोरबा थाने में की थी। आयशा और प्रेम जीत ने पहले तो रतनपुर महामाया मंदिर में विवाह किया और फिर बालिग होने पर दोनों ने कानून का पालन करते हुए कोर्ट मैरिज की। शुरुआत में दोनों के बीच सबकुछ अच्छा चला लेकिन फिर आपस में खटपट होने लगी। प्रेमजीत पेशे से ड्राइवर था, इसलिए उसे अक्सर घर से बाहर रहना पड़ता था। इसी बात पर आयशा और उसके बीच रोज विवाद होने लगा। ऐसे ही एक झगड़े के बाद आयशा ने तैश में आकर मच्छर मारने वाली दवा पी ली । उसकी तबीयत बिगड़ने पर उसे इलाज के लिए सिम्स लाया गया लेकिन डॉक्टरों की कोशिश के बावजूद आयशा को बचाया नहीं जा सका। आयशा की मौत की खबर पाकर कोरबा से भागे भागे उसके रिश्तेदार बिलासपुर पहुंच गए । अब मामला आयशा के अंतिम संस्कार को लेकर गहरा गया। प्रेमजीत साव् अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज के साथ करना चाहता था तो वहीं आयशा के परिजनों को इस पर आपत्ति थी और वे आयशा का अंतिम संस्कार मुस्लिम कायदों से करने पर अड़ गए। दोनों पक्षों में इसी बात पर विवाद गहराने लगा, जिस में आखिरकार पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा ।नियमों का पालन करते हुए पुलिस ने फैसला प्रेमजीत के पक्ष में दिया और शव को पति को सौंप दिया जिससे नाराज होकर आयशा के रिश्तेदार बुरा भला कहते हुए लौट गए।

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