छत्तीसगढ़बिलासपुर

नो पार्किंग जोन में खड़े वाहनों पर ताबड़तोड़ कार्यवाही ,जुर्माना वसूल कर ही गाड़ियों को छोड़ा

हैरानी इस बात की है कि यह कार्यवाही वहीं प्रशासन करता है जिसने पार्किंग की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की है

हर दिन की तरह सोमवार को भी कलेक्ट्रेट, नगर निगम और आसपास के दफ्तरों में अपना अपना काम लेकर पहुंचे लोगों के पैरों तले उस वक्त जमीन निकल गई ,जब लौटने पर उन्होंने पाया कि उनके वाहनों को यातायात विभाग की गाड़ी टोचन कर ले जा रही है। पहले कलेक्ट्रेट परिसर के भीतर ही पार्किंग हुआ करती थी, कलेक्ट्रेट पहुंचने वाले लोग कलेक्ट्रेट परिसर के भीतर ही दुपहिया और चार पहिया वाहनों को खड़ा किया करते थे। लेकिन हर बात आने वाले नए कलेक्टर नियमों में बदलाव कर देते हैं। ऐसे ही एक बदलाव के बाद बिलासपुर कलेक्ट्रेट में दुपहिया वाहनों की पार्किंग प्रतिबंधित हो गई और सुरक्षा गार्डों ने खुद लोगों से कहा कि वे कलेक्ट्रेट की दूसरी ओर सड़क किनारे वाहनों को पार किया करें। ऐसा लंबे वक्त तक चला लेकिन अचानक फिर कलेक्टर बदल गए और साथ ही नियम भी बदल गए। यातायात विभाग की अचानक नींद खुली और उन्होंने इस क्षेत्र को नो पार्किंग जोन घोषित कर दिया। अब यहां कभी कबार आने वाले लोगों को तो इस बदलाव की जानकारी होती नहीं ,लिहाजा वे पहले की ही तरह अपने दोपहिया और कभी कभी चार पहिया वाहनों को भी सड़क किनारे खड़ा कर अपना काम निपटाने चले जाते हैं ।लेकिन पिछले कुछ दिनों से ऐसे वाहनों पर यातायात विभाग कड़ी कार्यवाही कर रहा है। इस सोमवार को भी तामझाम के साथ पहुंचे यातायात विभाग के सिपाहियों ने क्रेन की मदद से दुपहिया वाहनों को उठाकर अपनी गाड़ी में भर लिया। वहीं चार पहिया वाहनों को टोचन कर ले जाने लगे। जब वाहन मालिकों ने यह देखा तो वे ट्रैफिक विभाग के आगे गाड़ियों को छोड़ने की मिन्नत करने लगे, लेकिन जुर्माना वसूलने के इरादे से पहुंचे ट्रैफिक विभाग के सिपाहियों का दिल किसी पर भी नहीं पसीजा, और सबसे जुर्माना वसूल कर ही गाड़ियों को छोड़ा गया। वहीं कुछ गाड़ियों को यातायात विभाग के सिपाही यातायात थाने लेकर चले गए, जिन्हें अब वही जुर्माना पटाकर छुड़ाना होगा। बिलासपुर में व्यवस्था के नाम पर अक्सर इस तरह की कार्यवाही की जाती है। हैरानी इस बात की है कि यह कार्यवाही वहीं प्रशासन करता है जिसने पार्किंग की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की है। अधिकांश स्थानों पर पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली जारी है। पार्किंग शहरी व्यवस्था का हिस्सा है ,इसके लिए सरकारी दफ्तरों में शुल्क लिया जाता है। लोगो के वाहनों को खड़ा करने के एवज में प्रशासन राजस्व वसूल रही है। जबकि उसे यह सुविधा निशुल्क देनी चाहिए।

सशुल्क पार्किंग की ही वजह से लोग यहां वहां वाहनों को पार्क करते हैं और इसी वजह से यातायात बाधित होता है। जबकि एक व्यवस्थित शहरी प्रशासन को जगह जगह निशुल्क पार्किंग की व्यवस्था करनी चाहिए। शहरी व्यवस्थाओं का हाल बेहाल है और उन्हें सुधारने के नाम पर लोगों से ही जुर्माना वसूला जा रहा है। लोकसभा चुनाव निकट है। 5 साल में आम जनता के पास भी हिसाब चुकता करने का एक अवसर होता है। सरकार के नुमाइंदे नियम कायदे बनाते हैं। जनता को परेशान करने वाले नियम कायदों से निपटने का अवसर चुनाव लेकर आता है। बात बात पर शुल्क वसूलने की कीमत जनता कहीं इस बार न वसूल ले, यह चिंता करने की बारी अब राजनितिक दलों की है, जो सरकार के रूप में सभी अव्यवस्थाओ के लिए जिम्मेदार हैं। सबसे पहले पार्किंग को लेकर स्पष्ट निर्देश होने चाहिए। कहीं अगर यह ना अंकित हो कि यहां पार्किंग प्रतिबंधित है तो फिर वहां गाड़ी पार्क करने पर भला जुर्माना क्यों वसूला जाए ? पहले नगर निगम कार्यालय और कलेक्ट्रेट के आस पास समुचित पार्किंग की व्यवस्था की जानी चाहिए ,वह भी बिना शुल्क के। तभी यह अव्यवस्था समाप्त हो सकती है। नहीं तो भीतर पार्किंग का शुल्क और बाहर गाड़ी खड़ा करने पर जुर्माना। यही नियम बन कर रह जाएगा । आम आदमी दो पाट के बीच पीस रही है। पुलिस और प्रशासन से निपटना उसके बस की बात नहीं है। उसका आक्रोश तो सिर्फ वोट के रूप में ही निकलता है ,जो अवसर निकट है। शायद यही वजह है कि जनता सत्ता बदल देती है, सत्ता बदल जाए, इससे तो बेहतर है कि नियमों में शिथिलता देते हुए सकारात्मक बदलाव किया जाए। बिलासपुर में पार्किंग बड़ी समस्या है और उससे भी बड़ी समस्या वाहन चालक उठाते हैं। क्योंकि पार्क करने के लिए जगह नहीं और गाड़ी पार्क करने पर जुर्माना भरना होता है। अगर दिनभर में लोग जुर्माना ही भरते रहे तो फिर गुस्सा कहीं तो निकलेगा ही।

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