
डेस्क
गुरुवार को जिला दुग्ध उत्पादन संघ से संबंधित सभी डेयरी संचालकों ने देवभोग दुग्ध सहकारी समिति का घेराव करते हुए हंगामा मचाया। पहले सांची के नाम से संचालित सहकारी समिति राज्य विभाजन के बाद से देवभोग दुग्ध सहकारी समिति के नाम से संचालित हो रही है ।इसके प्रबंधन पर आरोप है कि इसके कर्मचारियों द्वारा अवैध तरीके से खुले बाजार में दूध उपलब्ध कराया जा रहा है जोकि सरासर नियम विरुद्ध है । स्थानीय किसानों और दुग्ध उत्पादकों की बेहतरी के लिए बनाए गए सहकारी समिति का इस्तेमाल अवैध मुनाफे के लिए किया जा रहा है।जबकि नियम है कि ग्रामीण इलाकों के पशु पालकों से दूध इकट्ठा करने के बाद उसका दूध प्रोडक्ट जैसे पेड़ा ,पनीर, पैकेज दूध दही ,श्रीखंड आइसक्रीम आदि उत्पाद निर्माण कर आम उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराना है ।लेकिन आरोप है कि कर्मचारियों की मिलीभगत से बाहर ही बाहर किसानों के दूध को डेयरी काउंटरों को बेच दिया जाता है। जिससे शासन को लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
वही कर्मचारी आपस में मिलीभगत कर रकम का बंदरबांट कर रहे हैं। इस मामले में दुग्ध उत्पादक संघ ने कई बार चेतावनी दी है लेकिन फिर भी यह गोरखधंधा रुकता नहीं दिख रहा। इससे खफा होकर दुग्ध उत्पादकों और डेयरी संचालकों ने गुरुवार को जिला दुग्ध उत्पादक संघ के बैनर तले देवभोग सहकारी समिति कोनी का घेराव कर दिया और जमकर नारेबाजी की। दूध उत्पादक किसानों का कहना है कि लगातार दाना और चारे की कीमत बढ़ती जा रही है और डेयरी चलाना अब घाटे का सौदा साबित हो रहा है। यही कारण है कि एक के बाद एक डेरिया बंद होती जा रही है । महंगाई के बावजूद दूध उत्पादकों से देवभोग 26 से 28 रुपए प्रति लीटर की दर से दूध खरीदती है और इसे पैकेट बंद कर 44 रुपए में बेचती है लेकिन कर्मचारी दूध उत्पादको और समिति को चूना लगाते हुए खुले बाजार में यही दूध 34 से 35 रु प्रति लीटर पर बेच रहे हैं और इस दूध को खातों में दर्शाया भी नहीं जा रहा ।8 से 10 रु प्रति लीटर मुनाफे की यह रकम कर्मचारी आपस में बांट लेते हैं जबकि देवभोग सहकारी समिति करोड़ों रुपए के घाटे में चल रही है। हैरानी इस बात की है कि दूध उत्पादकों से 26 रुपए में दूध खरीद कर उसे 44 रु में बेचने के बावजूद समिति घाटे में कैसे हैं ? और अगर समिति घाटे में हैं तो फिर कर्मचारी क्यों डेयरी संचालकों के दूध को 40 40 लीटर के केन में शहर के डेरी काउंटर को कम कीमत पर उपलब्ध करा रहे हैं । जाहिर है यहां बहुत बड़ा घोटाला किया जा रहा है जिसमें छोटे छोटे दूध उत्पादक पीस रहे हैं । समिति के अधिकारियों का रवैया किसानों के प्रति बेहद निष्ठुर है । शिकायत करने वाले दूध उत्पादकों को दो टूक कहा जाता है कि वे उन्हें दूध ना दे लेकिन कोई और विकल्प न होने से दूध उत्पादकों के पास समिति को दूध देने के अलावा कोई चारा भी नहीं है । गुरुवार को जब दूध उत्पादक घेराबंदी के लिए पहुंचे तो वहां सहायक महाप्रबंधक आर के सिंहदेव मौजूद नहीं थे । लिहाजा कोई बातचीत नहीं हो पाई । वही दूध उत्पादकों ने प्रबंध संचालक नरेंद्र कुमार दुग्गा तक भी यह शिकायत पहुंचाने का निर्णय लिया है । जिला दुग्ध उत्पादक संघ अब आर-पार की लड़ाई के मूड में है और कर्मचारियों के इस आपराधिक कृत्य को वह हर स्तर पर उजागर करने की ठान चुके हैं।