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देशी सांडों के बुरे दिन आने वाले हैं । बिलासपुर जिले में लगातार दूध उत्पादन में कमी के पीछे निकृष्ट सांडों द्वारा गर्भाधान कराने से अनउत्पादक गायों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिससे सिर्फ सड़क पर भीड़ बढ़ रही है। देशी सांडों को निकृष्ट श्रेणी का माना जाता है , जिनसे निषेचित होकर गर्भाधान करने वाली गाय बेहद कम दूध देने वाली और कमजोर नस्ल पैदा कर रही है। इसलिए शासन ने ऐसे निकृष्ट सांडो के बधिया करण का निर्णय लिया है, इसके लिए शिविर आयोजित किए जाएंगे।
बिलासपुर जिले में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने उन्नत नस्ल के सांडों से प्राकृतिक, कृत्रिम गर्भाधान कराया जाएगा। जिले में देशी निकृष्ट सांडों के बधियाकरण के लिये ग्रामों में शिविर आयोजित किए जायेंगे।
कलेक्टर डाॅ.संजय अलंग ने जिले के सभी जनपदों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों और ग्राम पंचायतों के सरपंचों को संबोधित पत्र में कहा है कि वे पशुधन विकास विभाग के द्वारा सघन बधियाकरण हेतु आयोजित शिविर में पंचायत शत-प्रतिशत देशी निकृष्ट सांड़ों के बधियाकरण कराने में सहयोग करें।
पत्र में कहा गया है कि किसान भाईयों के पशुधन में अधिक मात्रा में अनुत्पादक गायों की संख्या बिलासपुर जिले में परिलक्षित हो रही है। जिससे किसानों को दूध कम मात्रा में प्राप्त हो रहा है। प्रति व्यक्ति औसत दूध खपत के अनुपात में दूध उत्पादन अत्यंत कम है। पशुधन विकास विभाग लंबे समय से पशु संवर्धन का कार्य कर रहा है। परंतु अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है।
ग्रामीण कृषकों के द्वारा उनके यहां रखे गये पशुधन में देशी निकृष्ट सांडों के बधियाकरण न कराये जाने के कारण अनुत्पादक पशुओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। यदि इन देशी निकृष्ट सांडों का बधियाकरण कर उन्नत नस्ल के सांडों से प्राकृतिक गर्भाधान, कृत्रिम गर्भाधान कार्य किया जाये तो अपेक्षित सफलता अवश्य मिलेगी व ग्रामीण क्षेत्रों में दूध उत्पादन में वृद्धि होगी।
इसके मद्देनजर कलेक्टर ने सभी ग्राम पंचायतों के सरपंचों से पशुधन विकास विभाग के द्वारा सघन बधियाकरण हेतु शिविर में ग्राम पंचायत के शत-प्रतिशत देशी निकृष्ट सांडों का बधियाकरण करने में सहयोग करने की अपील की है।