
भुवनेश्वर बंजारे

रायपुर – कोरोना के गिरफ्त में फंसते छत्तीसगढ़ में एक बार फिर राज्य सरकार ने लॉक डाउन पर अपनी मुहर लगा दी है। बीते कुछ दिनों में आए सैकड़ो मरीजो ने भूपेश सरकार को लॉक डाउन के लिए सोचने मजबूर कर दिया है। हालाकि राज्य सरकार ने लॉक डाउन का अंतिम निर्णय जिला कलेक्टर के ऊपर छोड़ा है। शनिवार को हुई मंत्री मंडल की बैठक में कोरोना को लेकर चार प्रमुख बिंदुओं पर निर्णय लिया गया है। जिसमे सबसे अहम यह है, कि प्रदेश में एक साथ लॉक डाउन नही किया जाएगा। लॉक डाउन को लेकर जिला कलेक्टर को निर्णय लेना होगा, कि वास्तविक में जिले में कोरोना की चैन को तोड़ने लॉक डाउन की जरूरत है की नही। अगर परिस्थिति इस प्रकार बनती भी है तो लॉक डाउन के पूर्व आम जनता को तीन से चार दिन पूर्व सूचना देनी होगी। इसके बाद ही जिले में पूर्ण अथवा आंशिक लॉक डाउन किया जा सकेगा। बैठक में लॉक डाउन की अवधि में भी आवश्यक गतिविधि जैसे दूध,सब्जी मंडी के साथ मेडिकल दुकान के संचालन की अनुमति होगी। हालाकि लॉक डाउन 21 जुलाई के बाद से एक हफ्ते तक किया जा सकता है।
बैठक में इसपर भी लिया गया निर्णय…
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में आहूत मंत्रिमंडल की बैठक में कोरोना संक्रमण के प्रबंधन को लेकर आवश्यक निर्णय लिए गया है। जिसके तहत प्रदेश में टैस्टिंग की गति को दुगुनी करने पर सहमति बनी,ताकि ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग हो सके और संक्रमण की जानकारी हो सके ताकि उसका अच्छा से इलाज हो सके। इसके अलावा नगर निगम क्षेत्र में 100 प्रतिशत टेस्टिंग करने कहा गया है। साथ ही छत्तीसगढ़ में कोरोना से निपटने बेहतर प्रबंध को लेकर निर्णय लिया गया है। जिसमे स्वास्थ्य विभाग को प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने निर्देशित किया है कि छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में विशेष रुप से रायपुर राजधानी में आवश्यक मेडिकल संसाधनों पर स्वास्थ्य विभाग को आवश्यकता अनुरूप मेन पावर बढ़ाने जैसे डॉक्टर, टेक्निशियन सहित अन्य ए एन एम की नियुक्ति करने पर सहमति बनी है।