
रमेश राजपूत
बिलासपुर- तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में घटित दुष्कर्म और हत्याकांड पूरे देश में सुर्खियों में है। अभी तक तो ‘निर्भया’ के दोषियों को ही फांसी की सजा नहीं दी गई है और एक निर्भया फिर हवस के दरिंदों की दरिंदगी का शिकार हुई है। अब तो यह प्रश्न पूरे देश के समक्ष मुंह उठाए खड़ा है कि हम कैसे समाज में जी रहे हैं? जहां बेटियां कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। एक तरफ हम ‘बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ’ के नारे लगाते हैं, दूसरी तरफ वही बेटियां समाज में सुरक्षित नहीं हैं, जो अपने बलबूते पर कुछ बनकर दिखाती हैं। आखिर हम किस युग में जी रहे हैं? क्या हम सभ्य समाज में जीने लायक माहौल अपनी बहन-बेटियों को दे पाए हैं? ये कुछ ऐसे यक्ष प्रश्न हैं, जो हमारे सामने हैं और हम इनका कोई यथोचित उत्तर नहीं दे पा रहे हैं। हैदराबाद में घटित हैवानियत के बदले की आग में पूरा देश जल रहा है। इस बदले की आग से न्यायधानी भी अछूती नहीं है। आम जनता के साथ दिल दिमाग को झकझोर ने वाली इस घटना को लेकर शहर के पुलिस परिवार ने भी आवाज उठाते हुए,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऐसे मामलों में दोषियों के लिए कठोर प्रावधान बनाने मांग की गई है।
पुलिस परिवार ने की कठोर क़ानून की मांग
क्या बलात्कार को लेकर हमारे देश का कानून कमजोर है? क्या बलात्कारियों को कड़ी सज़ा नहीं मिलती? निर्भया से लेकर आजतक जब भी बलात्कार का कोई मामला सामने आता है तो हमेशा कमज़ोर कानून और कम सजा की दुहाई ही दी जाती है। इन्ही दलीलों के साथ मंगलवार को पुलिस परिवार के सदस्यों ने जिला कलेक्टर डॉ संजय अलंग के माध्यम ज्ञापन सौंपकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऐसे दोषियों के लिए कठोर कानून बनाने की मांग की है ताकि आरोपियों को दोष सिद्ध होने पर फांसी, चौक चौराहे में मृत्युदंड दी जा सके।
इस मामले ने देशवासियों के अंतरमन मेंं जलाई बदले की चिंगारी
तेलंगाना में महिला पशु चिकित्सक के साथ आरोपियों द्वारा हैवानियत की हद पार करते हुए, चारों आरोपियों ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म के लिए साजिश रची। साथ ही पीड़िता के शोर मचाने पर आरोपियों ने चुप कराने के लिए उसके मुंह में जबरदस्ती शराब डाल दी। चारों आरोपियों ने रिमांड रिपोर्ट में बताया कि बुधवार 6.15 बजे जब पीड़िता ने स्कूटी पार्क की तो सभी आरोपी उसे देख रहे थे। इसके बाद पीड़िता टैक्सी से त्वचा विशेषज्ञ से मिलने गई। इस दौरान चारों आरोपियों मोहम्मद आरिफ, जोलू शिवा, जोलू नवीन और चिंताकुंता केशावुलु जो पेशे से ड्राइवर और खलासी हैं ने स्कूटी के एक टायर से हवा निकाल दी। इसके बाद चारों ने पीड़िता पर हमला करने से पहले शराब पी। जब पीड़िता 9:15 बजे वापस लौटी तो चारों मदद के बहाने उसके पास पहुंचे। उन्होंने पुलिस को बताया कि उन्होंने पीड़िता को फोन पर बात करते हुए देखा। इसके बाद उनमें से तीन पीड़िता को टोल गेट के पास एक झाड़ी में ले गए और उसका फोन बंद कर दिया। उसके बाद अपनी उन्होंने अपने मंसूबों को पूरा किया। इन हैवानों की हवस यही तक नही रुकी उन्होंने डॉक्टर के साथ रैप पर इससे जिंदा जला दिया।
राजनीतिक संरक्षण से कही न कही आरोपियों के हौसले बुलंद
विगत वर्षों में हुए ऐसे रेप के मामलों पर गौर करने से एक बात जो सामने निकल कर आती है, वो यह कि जब तक इन अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिलता रहेगा, इनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक ये बेखौफ होकर ऐसी वारदातों को अंजाम देते रहेंगे। इन घटनाओं की रोकथाम तभी संभव है, जब इन अपराधियों को तुरंत सरेआम फांसी पर लटकाया जाए और अगर कोई इनकी पैरवी करता है और मानवाधिकारों की दुहाई देता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए, क्योंकि अब समय आ गया है, जब केवल न्याय की गुहार लगाने से और मोमबत्तियां जलाकर मौन रहने से कुछ होने वाला नहीं है, अब तो तुरंत ठोस कार्रवाई होनी चाहिए।