
उदय सिंह
बिलासपुर – जिले के मस्तूरी क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत पाराघाट में संचालित राशि स्टील एंड पावर प्लांट प्रबंधन लगातार अपनी मनमानी कर रहा है, जिससे क्षेत्रवासी परेशान है, यहाँ तक कि जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन से उक्त प्लांट प्रबंधन की शिकायत भी कई बार कर चुके है, बावजूद इसके कोई कार्रवाई नही हो रही है, जिससे क्षेत्रवासियों को लगने लगा है कि संबंधित विभाग प्लांट प्रबंधन के सामने नतमस्तक हो चुका है, जिसका कोई कुछ नही बिगाड़ सकता। यही वजह है कि राशि पावर प्लांट प्रबंधन कई अनियमितताओं को अंजाम दे रहा है और लाभ अर्जित कर रहा है।
नदी में छोड़ा जा रहा जहरीला पानी…
क्षेत्रवासियों को सबसे अधिक प्लांट से छोड़े जाने वाले जहरीले पानी से समस्या हो रही है, जिसे सीधे लीलागर नदी में छोड़ा जा रहा है, यही वजह है कि जीवनदायिनी नदी भी जहरीली हो रही है। जिसे लेकर न तो पर्यावरण विभाग कोई कार्रवाई कर रहा न स्थानीय प्रशासन। जिससे क्षेत्रवासियों को अब चिंता सताने लगी है कि कही यही जहरीला पानी उनके जलस्रोतों को भी दूषित न कर दे।
बिना अनुमति के कोल का भंडारण…
ग्रामीणों ने यह भी शिकायत की है कि प्लांट प्रबंधन बड़ी मात्रा में अवैध रूप से कोयले का भंडारण कर रहा है, जो कि बिना अनुमति लिए ही किया जा रहा है, मामले में ग्राम पंचायत ने भी अनुमति देने से इंकार कर आपत्ति जताई है, बावजूद इसके प्लांट प्रबंधन अपनी मनमानी कर रहा है और संबंधित विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे बैठे है, जिसका खामियाजा क्षेत्रवासियों को वायु प्रदूषण के रूप में डस्ट के रूप में भुगतना पड़ रहा है।
भारी वाहनों की आवाजाही से सड़क हुई जर्जर…
क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने जयरामनगर से लेकर पाराघाट तक बनी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की रोड के जर्जर होने के पीछे भी प्लांट प्रबंधन को दोषी बताया है, जिन्होंने बताया कि उक्त सड़क सामान्य वाहनों के यातायात के लिए बनाई गई है लेकिन उसमें कई टन वजनी भारी वाहनों को दौड़ाया जा रहा है, जिससे पूरी सड़क जर्जर होकर ध्वस्त हो चुकी है, वही भारी वाहनों की वजह से हमेशा सड़क हादसे भी हो रहे है जिसकी चपेट में आ चुके कई ग्रामीण अपनी जान गवां चुके है।
सामाजिक दायित्वों के निर्वहन में भी मनमानी…
किसी भी औद्योगिक इकाइयों का संबंधित क्षेत्र के विकास में योगदान देने अनिवार्य रूप से सीएसआर फंड बनाया जाता है, जिसके तहत सामाजिक विकास के कार्यो में योगदान दिया जाता है, लेकिन राशि स्टील एंड पावर प्लांट प्रबंधन केवल कागजों में यह फंड खर्च कर अपने सामाजिक दायित्वों से भी मुंह मोड़ रहा है।
हालांकि की क्षेत्र में इसकी निगरानी भी स्थानीय प्रशासन को करनी होती है लेकिन इसके लिए भी अब तक गांवों का कोई आंकलन नही किया गया है, जिससे साफ तौर पर समझा जा सकता है कि प्लांट प्रबंधन के सामने सभी विभाग नतमस्तक है, जिनके संरक्षण में प्लांट प्रबंधन अपनी मनमानी कर क्षेत्रवासियों और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहा है।