
भुवनेश्वर बंजारे
बिलासपुर – जिले में शुक्रवार को ठगी का दो ऐसा मामला सामने आया है। जिसमे एक में शासकीय कर्मचारी को साइबर ठगो ने लाखो का चूना लगाया तो वही दुसरे में पशु चिकत्सक द्वारा बीमा की राशि ठग लिया है। पहला मामला सरकंडा थाना क्षेत्र का है। जहा बंधवापारा निवासी रामनारायण राव मराठा जो की सिंचाई विभाग में अमीन पटवारी है उनको शातिर ठगो ने क्रैडिट कार्ड बंद करने का झांसा देकर एक लाख रुपए की ऑन लाइन ठगी की है।
जिसकी शिकायत प्रार्थी ने सरकंडा थाने में दर्ज कराते हुए बताया कि 17 जुलाई 2022 को 9187093108 से प्रार्थी के पास कॉल आया। जिसमे बैंक अधिकारी बनकर शातिर ठग ने प्रार्थी को क्रैडिट कार्ड बंद करने की बात कहते हुए अपने झांसे में लिया और उनसे क्रैडिट कार्ड नंबर और ओटीपी प्राप्त कर लिया। जिसके बाद शातिर ठग ने उसमे से एक लाख एक हजार चार सौ आठ का ट्रांजेक्शन कर लिया। चूंकि क्रैडिट कार्ड में उपयोग के बाद बिल पेमेंट के लिए 50 दिन की मोहलत दी जाती है। जिस वजह से प्रार्थी ने ध्यान नहीं दिया। जब उनके खाते से पैसे कटने लगे तो उनको अपने साथ हुई ठगी का ऐहसास हुआ। जिसकी शिकायत उन्होंने पहले अपने बैंक में की लेकिन वहा भी काफ़ी दिनो तक काई मदद नहीं मिल सकी। जिससे हताश प्रार्थी ने शुक्रवार को मामले की शिकायत सरकंडा में दर्ज़ कराई है। इसी तरह दूसरा मामला सिविल लाईन थाना क्षेत्र का है।
जहां गुलमोहर कालोनी निवासी किरण सिंह ने संयुक्त संचालक पुशु चिकित्सा , कार्यालय बिलासपुर में पदस्थ पशु चिकित्सक डा. बी.पी. सोनी के खिलाफ पशु बीमा की राशि का गबन करने के साथ ठगी करने की शिकायत थाने में दर्ज कराई है। जहा प्रार्थी ने जानकारी देते हुए बताया कि 2016 में प्रार्थियां ने अपने 10 पशुओं का बीमा करने के लिए डॉ बी.पी. सोनी को प्रीमियम की राशि 37,000 दी थी। जहा डॉक्टर द्वारा 29, 266 रूपए का बीमा ओरियएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड का कव्हर नोट प्रार्थी को सौपा गया था। जहा कुछ दिन बाद पशु बीमार होने पर प्रार्थी ने डा.बी.पी. सोनी को फोन कर जानकारी दी। जिस पर उन्होनें फोन के माध्यम से डॉ आर. एम. त्रिपाठी को जिला पशु चिकित्सालय से बुलाया गया था, और दो दिनों के पश्चात पशु की मृत्यु हो गई, जिसके बाद प्रार्थी ने बीमा क्लेम करने की कोशिश की।
तब उन्हे पता चला कि उक्त पशुओं का किसी प्रकार का बीमा इस कंपनी से नहीं हुआ है। जिसको लेकर जब प्रार्थिया ने आरोपी डॉक्टर से बात की तो वह काफ़ी दिनो तक गोलमोल जवाब देने लगा। जिसपर प्रार्थी ने घटना की शिकायत बिलासपुर कलेक्ट्रेट में दर्ज कराई थी। जहां जिला कलेक्टर के निर्देश पर विभाग के तीन सदस्यीय टीम गठित की। जहा लंबे समय तक चली जांच में अंततः आरोपी डॉक्टर को दोषी ठहराया गया। जिसके बाद विभाग की जांच रिपोर्ट के आधार पर आरोपी डॉक्टर के खिलाफ सिविल लाइन थाना में शिक़ायत दर्ज कराई है। मामले में दोनो ही थाने में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।