
समाज के अन्य सदस्य गुरुवार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेंगे
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
पिछले दिनों राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी निर्देश में प्रदेश में बिना डिग्री के प्रैक्टिस कर रहे फर्जी बंगाली डॉक्टर पर सख्त कार्यवाही का आदेश दिया गया था। इस आदेश में फर्जी डॉक्टर को बंगाली डॉक्टर बताने से प्रदेश का बंगाली समाज आहत है। जिम्मेदार सरकारी विभाग द्वारा इस तरह किसी जाति विशेष का उल्लेख के जाने पर समाज को घोर आपत्ति है ।पूरे देश भर में फर्जी डॉक्टर फैले हुए हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में इनकी तादाद बहुत है और यह डॉक्टर सभी जाति और मजहब से संबंधित है ।इन्हें बंगाली डॉक्टर के रूप में चिन्हित करने को शासन की कुंठा और संकुचित मानसिकता का परिचायक बताया जा रहा है। असल में सभी फर्जी, झोलाछाप चिकित्सकों को व्यावहारिक बोलचाल में बंगाली डॉक्टर कहा जाता है, इसीलिए शासन के आदेश में भी इसी शब्द का उल्लेख कर दिया गया है, जबकि सरकारी दस्तावेजों में इस तरह की त्रुटि होनी नहीं चाहिए थी।
फर्जी चिकित्सक कहने की जगह बंगाली डॉक्टर का जिक्र आदेश में होने से नाराज प्रदेश छत्तीसगढ़ बंगाली समाज ने इस शब्द को हटाने की मांग की है। संगठन के प्रदेश महासचिव पल्लव धर ने इस मामले में कहा है कि पूरे प्रदेश में कम पढ़े लिखे और अप्रशिक्षित बिना डिग्री धारी चिकित्सक प्रैक्टिस कर रहे हैं ।ग्रामीण इलाकों में इन्हीं की वजह से कई जाने जाती है । इन्हें बंगाली डॉक्टर कहना किसी भी लिहाज से सही नहीं है। फर्जी बंगाली डॉक्टर का ही जिक्र क्यों किया गया है। इस मामले को संवेदनशील और गंभीर बताते हुए इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से करने की तैयारी की जा रही है। इसी सिलसिले में संगठन के सदस्य , जिसमें महासचिव पल्लव धर, शंकर दत्ता ,अनूप सरकार ,सुब्रत चाकी,बुला विश्वास और समाज के अन्य सदस्य गुरुवार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेंगे।