
भगवती बगला पितांबरा स्वर्ण पीठ पर विराजमान एक हाथ में मुद्गल लिए तथा दूसरे हाथ में शत्रु की जीत पकड़े हुए हैं इन्हें सिद्ध विद्या कहा जाता है यह शीघ्र फल प्रदान करने वाली है कलयुग में इनकी उपासना करने से सभी प्रतिस्पर्धा में विजय हासिल होती है
सत्याग्रह डेस्क
श्री पीतांबरा पीठ सुभाष चौक सरकंडा में वैशाख शुक्ल पक्ष अष्टमी 12 मई रविवार को श्री बगलामुखी जयंती में श्री पीतांबरा माँ बगलामुखी देवी मां का विशेष पूजन जप यज्ञ होगा ।मंदिर के पुजारी आचार्य दिनेश चंद्र ने बताया कि स्वतंत्र तंत्र के अनुसार भगवती बगलामुखी के प्रादुर्भाव की कथा इस प्रकार है -सतयुग में जगत को नष्ट करने वाला भयंकर तूफान आया प्राणियों के जीवन पर आए संकट को देखकर भगवान महाविष्णु चिंतित हो गए वह सौराष्ट्र देश में हरिद्रा सरोवर के समीप जाकर भगवती को प्रसन्न करने के लिए तब करने लगे श्रीविद्या ने उस सरोवर से बगलामुखी देवी के रूप में प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिए तथा विध्वंसकारी तूफान स्तंभन कर दिया बगलामुखी महाविद्या भगवान विष्णु के तेज संयुक्त होने के कारण वैष्णवी है। इस विद्या का उपयोग देवी प्रकोप की शांति धन धान्य के लिए पौस्टिक कार्य एवं अभिचारिक कर्म के लिए भी होता है यह एक केवल प्रधानता के अभिप्राय से है। अन्यथा इनकी उपासना भोग और मोक्ष दोनों की सिद्धि के लिए की जाती है। श्री भगवती पीतांबरा बगलामुखी देवी जी की उपासना आराधना सभी कार्य में सफलता प्रदान करती है विशेष रूप से वाद-विवाद युद्ध शास्त्रार्थ मुकदमे में विजय प्राप्त करने के लिए अधिकारी को अनुकूल करने के लिए कोई आप पर अकारण अत्याचार कर रहा हो तो उसे रोकने सबक सिखाने के लिए असाध्य रोगों से छुटकारा पाने के लिए संतान प्राप्ति बंधन मुक्त संकट से उद्धार प्राप्ति के लिए विशेष रूप से फलदाई है ।भगवती बगला पितांबरा स्वर्ण पीठ पर विराजमान एक हाथ में मुद्गल लिए तथा दूसरे हाथ में शत्रु की जीत पकड़े हुए हैं इन्हें सिद्ध विद्या कहा जाता है यह शीघ्र फल प्रदान करने वाली है कलयुग में इनकी उपासना करने से सभी प्रतिस्पर्धा में विजय हासिल होती है सुख समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है रविवार को श्री बगलामुखी मंदिर में विशेष अनुष्ठान संपन्न होंगे जहां दूर-दूर से भक्त और यजमान पहुंचकर अनुष्ठान का हिस्सा बनेंगे