
बिलासपुर- शासन ने प्रदेश के 1333 कृषि साख सहकारी समितियों को भंग करते हुए पुनर्गठन के निर्देश दिए थे, जिसमें सभी समितियों में संचालक मंडल को भंग करते हुए प्राधिकृत अधिकारी को समितियों के संचालन का जिम्मा दे दिया गया था और आगामी दिनों में नए सिरे से संचालक मंडल के निर्वाचन की प्रक्रिया अपनाई जाती, इसी बीच कई सहकारी समितियों के सदस्यों ने इस निर्णय को गलत मानते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी, जिसमे उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया और निर्णय न आने तक यथा स्थिति के निर्देश दे दिए। फ़िलहाल मामले में अगली सुनवाई नवम्बर महीने में होगी लेकिन उससे पहले सहकारी समितियों में असमंजस की स्थिति निर्मित हो रही है। प्राधिकृत अधिकारी के माध्यम से संचालित समितियों में भंग संचालक मंडल के सदस्य उच्च न्यायालय से मिले यथा स्थिति के आदेश के आधार पर पुनः संचालन की बागडोर संभालने की मांग कर रहे है और सहकारी समिति प्रबंधकों पर दबाव बना रहे है,
जबकि शासन के निर्देश के साथ ही संचालक मंडलो को भंग कर दिया गया था और पुर्नगठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी दावा आपत्ति भी मंगाई गई थी, उच्च न्यायालय ने पुर्नगठन की प्रक्रिया पर यथा स्थिति के निर्देश दिए है, जिसमे अभी निर्णय आना शेष है, बावजूद इसके संचालक मंडल के सदस्य अपना वर्चस्व स्थापित करने पुनः प्रयास कर रहे हैं, और यही वजह है कि सहकारी समितियों में आगामी धान खरीदी प्रक्रिया के दौरान समस्याएं सामने आ सकती, जिससे किसानों को परेशानी होगी। फ़िलहाल उच्च न्यायालय का फैसला जो भी आये, सहकारी सोसायटी के माध्यम प्रदेश में धान खरीदी की महत्वपूर्ण प्रकिया सम्पन्न होती है, जहाँ किसी भी तरह की राजनीति और असमंजस की स्थिति का होना हितकारी नही हो सकता।