छत्तीसगढ़बिल्हामस्तूरीसमस्या

कब बहुरेंगे धूमा सिलपहरी सड़क के दिन , इस जर्जर सड़क पर फिर से पैबंद लगाने की योजना , बरसात के दौरान यहां से गुजरना होगा दुश्वार

उदय सिंह

पूरे देश में सड़कों का जाल बिछाने का भले ही दावा किया जाता हो लेकिन बिलासपुर से महज 5 किलोमीटर दूर स्थित मानिकपुर ,धूमा, सिलपहरी रोड किसी बाबा आदम के जमाने की सड़क जान पड़ती है। ऐसा हो भी क्यों ना , आज से 15 साल पहले आखरी बार इस सड़क को बनाया गया था। क्षेत्र में धूमा, सिलपहरी, मानिकपुर जैसे कई महत्वपूर्ण गांव है ।जहां 20 हजार से अधिक आबादी बसती है ।यही सड़क आगे चलकर दर्री घाट फोरलेन सड़क से मिलती है। यहां बड़ी संख्या में किसान निवास करते हैं ,जिनके खेतों में सब्जी तरकारी उगाई जाती है और जिन्हें वे रोज लेकर शहर बेचने आते हैं, लेकिन सड़क जर्जर होने की वजह से यहां तक पहुंचना उनके लिए टेढ़ी खीर साबित होती।

यहां के ग्रामीण वर्षों से इस सड़क को प्रधानमंत्री सड़क योजना में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है इससे ही क्षेत्र का विकास संभव होगा, लेकिन हर बार उन्हें आश्वासन देकर टाल दिया जाता है। इस सड़क पर यातायात का दबाव जितना बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से यह सड़क जर्जर होती जा रही है। वर्तमान में मौजूद सड़क केवल 3 मीटर चौड़ी है, जिसकी चौड़ाई 12 मीटर करना प्रस्तावित है। इस क्षेत्र के ग्रामीणों ने कई मर्तबा सड़क को लेकर आंदोलन किए, चक्का जाम किया ,यहां तक कि विधानसभा में मतदान के बहिष्कार की चेतावनी दी थी, लेकिन फिर भी अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। पीडब्ल्यूडी के धूमा सिलपहरी रोड की बदहाली से नाराज लोगों ने जब फिर से आंदोलन की चेतावनी दी तो भागे भागे पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन अभियंता मधेश्वर प्रसाद पहुंचे लेकिन हर बार की तरह उन्होंने इस बार भी सड़क निर्माण की बजाय पिच रिपेयर करके सड़क को ठीक करने भर का आश्वासन दिया ।

उनका कहना है कि प्रस्ताव भेजे जाने के बाद भी शासन ने नए सिरे से डामरीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है ।
वैसे हर साल बरसात से पहले इस सड़क पर केवल पैबंद ही लगाया जाता है। पिच रिपेयर से गड्ढे भर दिए जाते हैं और बरसात में बारिश होते ही वापस गड्ढे उभर कर सामने आ जाते हैं, जिस पर से वाहनों का गुजारना लगभग नामुमकिन हो जाता है, लेकिन पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को ग्रामीणों की परेशानियों से क्या लेना देना। यहां कोई बड़ा नेता कभी आता जाता भी नहीं ,इसलिए उन्हें ग्रामीण हालातों की भी जानकारी नहीं है। धूमा से सिलपहरी रोड का जायजा लेने पहुंचे पीडब्ल्यूडी अभियंता ने बताया कि नया बीटी यानी डामरीकरण के लिए शासन को 8.7 करोड रुपए का प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी यह प्रस्ताव स्वीकृत नहीं किया गया । जिस वजह से न तो नए सिरे से सड़क बनने की संभावना है और न ही इस पर डामरीकरण संभव होगा । इसलिए पीडब्ल्यूडी विभाग, एक बार फिर से गड्ढों को पाटकर अपनी जिम्मेदारी निभाएगी ।

जाहिर है इससे यहां की समस्या का समाधान होने वाला नहीं है। ग्राम मानिकपुर से धूमा जाने वाली 5.3 किलोमीटर लंबी इस सड़क को आखिरी बार साल 2004 में बनाया गया था। पिछले 15 सालों में यह सड़क लगभग खत्म हो चुकी है। यहां बहुतायत में रहने वाले किसान इसी सड़क से बरसों से आना जाना कर रहे हैं। खासकर बारिश के मौसम में इस सड़क से गुजरना उनके लिए बेहद कठिन हो जाता है। प्रदेश में किसानों के हितेषी मुख्यमंत्री के रहने के बावजूद किसानों की यह दुर्दशा उन्हें क्यों नजर नहीं आ रही, यही सवाल यहां के किसान कर रहे हैं। किसानों की भावनाओं का ध्यान नहीं रखने की वजह से नाराज किसान आक्रोशित हैं और जल्द ही मस्तूरी नेशनल हाईवे पर चक्का जाम करने की भी चेतावनी दे रहे हैं। ग्रामीणों की वर्षों पुरानी मांग है कि इस सड़क को प्रधानमंत्री सड़क योजना में शामिल किया जाए । तभी इसका कायाकल्प संभव हो पाएगा। इसके लिए हालांकि कई बार विभाग द्वारा प्रस्ताव बनाकर भेजा भी गया है, लेकिन क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की कमजोर इच्छाशक्ति की वजह से ही यह प्रस्ताव कभी पास ही नहीं हो पाया। सिलपहरी मोड़ से धूमा मानिकपुर, ढेका तक की इस सड़क का टेंडर 4 वर्ष पहले हो चुका था। जिसके बाद सीमेंट मिक्स गिट्टी, मसाला को सड़क किनारे ही गिरा दिया गया था। इस वजह से उसका कोई उपयोग नहीं हो पाया ।

मौजूद सड़क मात्र 10 फुट चौड़ा है, इसे बढ़ाकर 40 फुट करने की मांग क्षेत्र के ग्रामीण कर रहे हैं, क्योंकि इस दौर में 10 फुट की सड़क किसी काम की नहीं होती। वाहनों की बढ़ती संख्या और आवश्यकता की वजह से यह सड़क अब अनुपयोगी साबित हो चुकी है। सिलपहरी क्षेत्र में स्पंज आयरन और कई अन्य प्लांट भी है इसलिए यहां सीसी रोड अथवा पूरी तरह डामरीकरण सड़क की आवश्यकता ग्रामीण महसूस कर रहे हैं ।साल 2015 से ही हर बार इस सड़क के निर्माण के लिए बजट बनाकर भेजा जा रहा है लेकिन हर बार यहां के ग्रामीणों के साथ छलावा हो जाता है। क्षेत्र से संबंध रखने वाले विधायक धरम लाल कौशिक, डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी ने भी कई मर्तबा सड़क निर्माण के दावे किए लेकिन फिर भी यहां की स्थिति जस की तस है। सड़क बनवाने के लिए यहां के ग्रामीणों ने भी कम प्रयास नहीं किया। ज्ञापन से लेकर चक्का जाम और विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की बात भी उन्होंने कही लेकिन इससे भी हालात नहीं बदले।

जाहिर है इस सड़क के बन जाने से क्षेत्र में विकास का प्रवेश होगा और इस अति पिछड़े इलाके की तरक्की मुमकिन होगी। यह बात सभी जानते हैं, लेकिन फिर भी इस क्षेत्र के ग्रामीणों के साथ बरसों से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है । नई सड़क की जगह ग्रामीणों को पुराने जर्जर सड़क को ही मरम्मत कर प्रयोग करने के लिए विवश किया जाता है । लोक निर्माण विभाग भी मानता है कि सड़क का चौड़ीकरण और पुनर्निर्माण अति आवश्यक है और इसके लिए उन्होंने भी आठ करोड़ का प्रस्ताव बनाकर भेजा था लेकिन साल 2018 में 19 के बजट में भी यह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया । इस एप्रोच रोड के जर्जर होने के बाद ग्रामीण उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही उनके लिए भी कोई भागीरथ यहां पहुंचेगा लेकिन अब तक उनकी उम्मीदें छलावा साबित हुई है। जिस दौर में पूरे देश में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा हो उस दौर में बिलासपुर जैसे बड़े शहर के साथ सटे इलाके में इस तरह की सड़क का होना जनप्रतिनिधियों की नाकामी को प्रदर्शित करता है। साल 2019 के मुख्य बजट में नवीनीकृत सड़क निर्माण के लिए विधायक धरमलाल कौशिक, डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी, रजनी सिंह, शैलेश पांडे और रेणु जोगी से भी ग्रामीणों ने संपर्क किया था, लेकिन फिर भी बात नहीं बनी। लंबे वक्त से इसी सड़क से गुजारा कर रहे ग्रामीणों की चिंताये अब इसलिए बढ़ने लगी है क्योंकि बरसात का मौसम आने को है और वे जानते हैं बरसात के मौसम में गड्ढे भरे सड़क से गुजरना कितना मुश्किल भरा काम है।

कुछ दिनों बाद यहां सड़क का कोई अता-पता नहीं होगा । हर तरफ से गड्ढे ही गड्ढे होंगे। पानी से भर जाने के बाद इस सड़क से गुजर रहे लोगों को यह भी पता नहीं चलेगा कि कहां गड्ढे हैं और कहां सड़क, और इसी कारण से यहां आए दिन दुर्घटनाएं होंगी, लेकिन इससे पीडब्ल्यूडी विभाग को क्या ? वह तो हर बार की तरह खानापूर्ति कर कुछ गड्ढे भर कर चली जाएगी,ग्रामीणों को उनके हाल पर छोड़ कर । किसान हित के नाम पर धूमा सिलपहरी मानिकपुर क्षेत्र के किसानों की अवहेलना सरकारी मंशा पर सवालिया निशान खड़ा करती है। यहां जब पीडब्ल्यूडी विभाग के कार्यपालन अभियंता मधेस्वर प्रसाद पहुंचे तो ग्रामीणों की उम्मीदें , एक बार फिर परवान चढ़ने लगी थी ,लेकिन उनकी बेरुखी से अब फिर से ग्रामीणों के दिल में निराशा घर करने लगी है। ऐसे में नाराज ग्रामीणों ने जल्द ही चक्का जाम करने की चेतावनी दी है। हैरानी इस बात की भीबहै कि जो सड़क ग्रामीणों के वाजिब हक का है उसके लिए आखिर उन्हें क्यों इस कदर गिड़गिड़ाना और आंदोलन करना पड़ रहा है । जब दूर दराज के गांव में भी बेहतर सड़क उपलब्ध है तो फिर इस क्षेत्र के ग्रामीणों से आखिर किस बात की नाराजगी है । यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है । जिसका जवाब ना तो ग्रामीणों के पास है और ना ही विभाग के अधिकारियों के पास ।जन प्रतिनिधि तो वैसे भी इस ओर से आंखें मूंदे बैठे हैं, जिनसे कोई उम्मीद की भी नहीं जानी चाहिए।

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