सतविंदर सिंह अरोरा
आज यदि यह कहा जाए कि दुनिया में सच मे कहीं नरक है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है। और वो स्थान होगा बिलासपुर छत्तीसगढ़। जी हाँ।
अपना हमर स्मार्ट सिटी बिलासपुर। बजबजाती नालियां, सड़कों पर नालियों का मलबा, नालियों के स्लैब और बिल्डिंग मटेरियल सड़कों पर पड़े हुए। यह नजारा है दयालबंद की पंजाबी कॉलोनी का। दुर्भाग्य यह है कि कॉलोनी की एक नाली वार्ड क्रमांक 35 की तो दूसरी वार्ड क्रमांक 36।
एक वार्ड वाले ने अपनी नाली साफ करवाई और मलबा सड़क पर छोड़ दिया। आते जाते वाहनों से वह वापस नाली में जा रहा है और सड़क पर भी फैल रहा है। हद तो तब हो गई जब बीमारी जनक मलबा पैदल चलने वालों के माध्यम से घरों में प्रविष्ट हो रहा है। मोहल्ला तो बदबूदार हो ही चुका है और इससे महामारी का खतरा बढ़ गया है। पर निगम के सिपहसालारों को क्या करना? लोग मरते हैं तो मरें, मच्छरों की फौज तैयार होती हो तो हो। सच मे लापरवाही, अकर्मण्यता और बेशर्मी का पैकेज है बिलासपुर को नरक बनाता निगम।