छत्तीसगढ़बिलासपुर

नए दौर के नृत्य से निराश पंडित बिरजू महाराज की इच्छा, टीवी पर हो शास्त्रीय नृत्यों पर आधारित कोई प्रतियोगिता

पंडित बिरजू महाराज एक महान कलाकार ही नहीं एक बेहतरीन इंसान भी है इसकी झलक बिलासपुर के कलाकारों ने भी देखी

बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य

पद्म विभूषण, संगीत नाटक अकादमी, कालिदास सम्मान , फिल्मफेयर पुरस्कार समेत न जाने कितने पुरस्कारों से सम्मानित, कालिका बिंदादीन घराने के शीर्ष कत्थक गुरु पंडित बिरजू महाराज रविवार को बिलासपुर में थे। 4 फरवरी 1938 को जन्मे बृजमोहन यानी पंडित बिरजू महाराज को उनके ही शिष्य रितेश शर्मा द्वारा जन्मदिन का अद्धभुत उपहार दिया गया । बिलासपुर में पंडित जी के लिए कत्थक आशीष संध्या गुरुवे नमः का आयोजन बिलासपुर में उनके 81 वे जन्मोत्सव के सिलसिले में किया गया, जहां उनके शिष्य रितेश शर्मा के अलावा दिल्ली की रागिनी महाराज और सरस्वती सेन ने भी कथक नृत्य की प्रस्तुति दी । इससे पहले दोपहर को पंडित बिरजू महाराज बिलासपुर के कलाकारों और पत्रकारों से रूबरू हुए । लखनऊ घराने के अच्छन महाराज, लच्छू महाराज ,शंभू महाराज जैसे महान कत्थक गुरुओं के घर जन्मे पंडित बिरजू महाराज को बेहद कम उम्र से ही कत्थक और शास्त्रीय गायन में विश्व भर में प्रसिद्धि मिली। शास्त्रीय कत्थक परंपरा को कायम रखने की अदम्य इच्छा लिए उन्होंने कलाश्रम की स्थापना भी की ,जहां देश विदेश से शिष्य कत्थक सीखने आते हैं। बीच बीच में पंडित बिरजू महाराज ने फिल्मों में भी हाथ आजमाया। बिलासपुर में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि प्रकृति की हर रचना में छंद और ताल है और इस ताल को जो समझ जाए, उसके लिए नृत्य को समझना और करना कठिन नहीं होता। चिड़ियों की चहचहाहट से लेकर झरनों के बहते पानी, पेड़ों की सरसराहट,सबमें वे ताल का अनुभव करते हैं, लेकिन उन्हें भी फास्ट फूड युग में फटाफट सब कुछ सीख कर शोहरत बटोरने वाले मौजूदा दौर के कलाकारों से शिकायत है।

मॉडर्न नृत्य शैली के भी पंडित बिरजू महाराज बड़े आलोचक हैं। अस्वाभाविक और शोर-शराबे के साथ गिरने पड़ने को वे नृत्य नहीं मानते। आजकल जिस तरह का डांस चलन में है ,उसकी निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि हेलीकॉप्टर की ऊंचाई से जमीन पर कूदना एक साथ 200 लोग शामिल हुए बगैर नृत्य का नृत्य ना होना, एक नृत्य में 10 बार कपड़े बदलने को वे नृत्य नहीं मानते, लेकिन राहत की बात यह है कि चुनिंदा ही सही लेकिन अब भी ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो भारतीय शास्त्री परंपराओं से जुड़ाव महसूस करते हैं। इस मामले में पंडित जी विदेशी शिष्यों को बेहतर मानते हैं जिनमें समर्पण भारतीय शिष्यों से अधिक है। कई फिल्मों में बड़े-बड़े कलाकारों को नृत्य सिखाने वाले पंडित बिरजू महाराज खुद को माधुरी दीक्षित का फैन बताते हैं। देवदास के दौरान माधुरी दीक्षित के समर्पण को वे आज भी नहीं भूल पाते । किस तरह 12 दिन 12 राते माधुरी ने उनसे नृत्य की बारीकियां सीखी थी, इसका वर्णन करते हुए आज भी उनकी आंखों में चमक आ जाती है । मीना कुमारी, वैजयंती माला के उस दौर को भी जब महाराज याद करते हैं तो साफ देखा जा सकता है कि वे उस काल खंड के कितने बड़े प्रशंसक रहे हैं। इस दौर से भले ही पंडित बिरजू महाराज निराश हो , लेकिन हताश नहीं है क्योंकि अभी भी शास्त्रीय नृत्य और संगीत परंपरा के प्रति कुछ लोगों में गजब का आकर्षण है और हर दौर में चुनिंदा कलाकार ही इस क्षेत्र में प्रवेश करते रहे हैं । पंडित बिरजू महाराज की इच्छा है कि जिस तरह रियलिटी शो के नाम पर टेलीविजन के पर्दे

पर तरह-तरह के डांस कंपटीशन चल रहे हैं उसी तर्ज पर भारतीय शास्त्रीय नृत्य कला पर आधारित भी एक प्रतियोगिता हो और संभव हुआ तो वे खुद इसे बनाना चाहते हैं। रविवार को बिलासपुर पहुंचे पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज के साथ तस्वीर खिंचवाने शहर के कलाकारों में होड़ मची रही और पंडित जी भी बेहद अपनेपन के साथ अपने प्रशंसकों के संग सहज होकर फोटो सेशन कराते नजर आए ।पंडित बिरजू महाराज एक महान कलाकार ही नहीं एक बेहतरीन इंसान भी है इसकी झलक बिलासपुर के कलाकारों ने भी देखी।

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