
आकाश दत्त मिश्रा

पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम के मुंगेली प्रथम आगमन पर इस दौरे को कार्यकर्ताओं ने यादगार बनाने की भरसक कोशिश की थी, लेकिन दुर्भाग्य से पीसीसी अध्यक्ष का यह दौरा कड़वे अनुभव दे गया । शुरुआत बेहतर हुई थी और पुराना बस स्टैंड तक सब कुछ ठीक-ठाक चला लेकिन आगे 20 लोगों के लिए बने मंच पर 70 से अधिक कार्यकर्ता चढ़ गए। जिस वजह से मंच ढह गया। पीसीसी अध्यक्ष के पहले मुंगेली आगमन पर सभी कांग्रेसी नेता अपना चेहरा दिखाना चाहते थे और इसी आपाधापी में यह दुर्घटना हो गई । पीसीसी अध्यक्ष को जेड कैटेगरी की सुरक्षा हासिल है लेकिन मौके पर ना तो पुलिस के जवान मौजूद थे और ना ही चिकित्सक ।इसलिए मोहन मरकाम का गुस्सा व्यवस्थाओं पर फूट पड़ा। अति उत्साह की वजह से कार्यकर्ताओं ने रोड शो की हवा निकाल दी।

कार्यकर्ताओं का उत्साह जितना भारी था, दुर्घटना कारी मंच उतना ही कमजोर साबित हुआ। रही सही कसर प्रशासन ने निकाल दी। असल में तय कार्यक्रम से काफी पहले दुर्घटना के बाद पीसीसी अध्यक्ष सर्किट हाउस पहुंच गए, जबकि जिला प्रशासन उनके दो से 3 घंटे बाद सर्किट हाउस पहुंचने का अनुमान लगा रहा था। इसलिए मौके पर ना तो अधिकारी थे और ना ही कोई खास तैयारी। जिसके चलते पीसीसी अध्यक्ष व्यवस्थाओं को लेकर खासे नाराज हुए और अपना कार्यक्रम निरस्त कर बिलासपुर चले गए । इधर इस दुर्घटना के बाद एक दूसरे पर दोषारोपण करने का दौर शुरू हो चुका है। सभी अपना अपना दामन बचाते नजर आ रहे हैं। जिला और पुलिस प्रशासन अपनी सफाई दे रहा है। वहीं बेलगाम कार्यकर्ताओं को नहीं संभाल पाने की कमजोरी को पदाधिकारी दूसरे पर दोषारोपण कर छुपाने की कोशिश कर रहे हैं । अब तो चर्चा का विषय यह है कि पीसीसी अध्यक्ष के कोप भाजन का शिकार किसे होना पड़ेगा। इस मामले में जिला प्रभारी उत्तम वासुदेव तर्क दे रहे हैं कि स्टेज टूटा नहीं था बल्कि बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं के चढ़ जाने से एक ओर लुढ़क गया था ।उन्होंने इसके लिए कार्यकर्ताओं को दोषी जरूर ठहराया लेकिन वे यह भी जोड़ गए कि अपने नेता के स्वागत में अति उत्साह में यह भूल हो गई है। हालांकि उत्तम वासुदेव पीसीसी अध्यक्ष की नाराजगी और उनके द्वारा किए जाने वाले संभावित कार्यवाही से साफ इंकार कर रहे हैं और उनका दावा है कि मोहन मरकाम दूरदर्शी और सुलझे हुए नेता है और वह ऐसी छोटी-छोटी घटनाओं पर इस तरह की प्रतिक्रिया नहीं देते है। यह भी दावा किया जा रहा है कि चोट लगने की वजह से और सही समय पर इलाज और अन्य सुविधाएं न मिलने से गुस्से में पीसीसी अध्यक्ष ने जरूर डांट पिलाई थी लेकिन बिलासपुर पहुंचने पर उनका स्वास्थ्य बेहतर हो गया और उनका क्रोध भी शांत हो गया है । लेकिन उन्होंने कार्यकर्ताओं में अनुशासन लाने की घुट्टी जरूर पिलाई है।

एक तरफ पीसीसी अध्यक्ष का मुंगेली दौरा आधा अधूरा छूट गया तो वहीं दूसरी ओर जो कार्यकर्ता अपना नंबर बढ़ाने का प्रयास कर रहे थे, उन पर अब कार्यवाही की तलवार लटक रही है। इसलिए सभी संभावित कार्यवाही के डर से सहमे नजर आ रहे हैं और दबी जुबान से संभाविततो के नाम भी लिए जा रहे हैं। फिलहाल मुंगेली में अफवाहों का बाजार गर्म है और कार्यकर्ताओं से लेकर कांग्रेस के पदाधिकारी और जिला प्रशासन के अधिकारी सभी तनाव में है कि ना जाने किस तरह की प्रतिकूल कार्यवाही उनके खिलाफ हो जाए।