
इसीलिए तो कहते हैं कि इस दुनिया में भी चमत्कार होते हैं। तोलाराम का यूं मिल जाना, किसी चमत्कार से कम थोड़ी ना है
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
जिन्हें लगता है की चमत्कार सिर्फ कहानियों में और फिल्मों में हुआ करते हैं ,उन्हें यकीन करना होगा कि कभी-कभी असल जिंदगी में भी चमत्कार हो जाते हैं । ऐसा कुछ हो जाता है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। अचानक से वह शख्स नजर आ जाता है, जिसके मिलने की उम्मीद ही सब ने छोड़ दी थी। ऐसा ही कुछ हुआ शनिवार को बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर ।उसके बाद के घटनाक्रम भी कम नाटकीय नहीं थे
पूरे मामले को समझने के लिए आपको भी माझी में जाना होगा। शनिवार को सीपत क्षेत्र के ग्राम दर्रीपारा के कर्मा क्षेत्र के कुछ ग्रामीण एक विवाह समारोह में शामिल होने जाने के लिए बिलासपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे थे।
बाराती, बिलासपुर रेलवे स्टेशन में ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे थे, तभी उन्हें स्टेशन के मुसाफिरखाना में एक ऐसा चेहरा नजर आया ,जिसे देखते ही सब की आंखें फैल गई ।अर्ध विक्षिप्त सा, गंदा, मैला कुचेला से एक इंसान को गौर से देखने के बाद सभी एक राय हो गए कि व्ह गांव से लापता तुलाराम ही है। तुलाराम बारातियों के ही गांव का था ,जो करीब 6 साल पहले अचानक गायब हो गया था। उसके परिजनों ने उसकी खूब तलाश की। पुलिस में भी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई। लेकिन किसी को कुछ पता नहीं चला ।सालो तलाश करने के बाद परिजन भी हताश होकर यह मान बैठे थे कि तुलाराम राम अब इस दुनिया में नहीं है । गांव वाले भी यही मानने लगे थे । लेकिन शनिवार को उसी तुला राम को रेलवे स्टेशन में जिंदा, सही सलामत देखकर सबको हैरानी के साथ खुशी भी हुई। तुरंत उन्होंने इसकी सूचना तुलाराम के परिजनों को दी । अपने सगे के जिंदा होने की खबर पाकर भागे भागे तुलाराम के परिजन स्टेशन पहुंचे। इसी बीच तुला राम को तलाशने वालों ने तोरवा थाने में भी तुलाराम की मिलने की सूचना दे दी। तो रेलवे स्टेशन पर, डायल 112 की टीम भी पहुंच गई।फिर तुलाराम से पूछताछ शुरू हुई ।मगर तुलाराम किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे पाया । तुलाराम की मानसिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह कुछ बता सके। इसके बाद उसके परिजनों ने उसे अपने साथ गांव ले जाने की बात कही, लेकिन पुलिस के लिए भी असमंजस की स्थिति थी कि आखिर कैसे किसी मानसिक रोगी व्यक्ति को अनजाने लोगों के साथ भेजा जाए। इस मामले की सूचना जीआरपी के साथ सिरगिट्टी और सीपत थाने में भी दी गई। सीपत थाने में पता किया गया तो यह स्पष्ट हुआ कि सचमुच तुलाराम की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखी गई थी ।अब समस्या यह थी कि जो गुमशुदा तुलाराम था क्या वह यही शख्स है। यह सवाल उठने पर परिजनों ने तुलाराम का पहचान पत्र पेश किया । पूरा दिन परिजन इधर से उधर भागते रहे ताकि किसी तरह तुला राम को अपने साथ घर ले जा सके। और आखिर में उनकी यह मेहनत रंग लाई। पुलिस भी दस्तावेजों से संतुष्ट हुई और तुला राम को उसके परिजनों के साथ जाने दिया। इधर परिजनों ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि तुला राम पिछले 6 सालों से ईसाई मिशनरियों के साथ था।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह धर्मांतरण का मामला है और कमजोर दिमाग का पाकर ईसाई मिशनरियों ने तुलाराम का धर्मांतरण किया है। हालांकि पुलिस इससे सहमत नजर नहीं आई। पुलिस का दावा है कि मानसिक स्थिति बिगड़ने की वजह से ही तुलाराम अनजाने में घर से दूर चला गया और फिर घर नहीं लौट पाया। सच्चाई जो भी हो लेकिन इतना ही काफी है कि 6 सालों से बिछुड़ा बेटा अपने घर लौट आया। शनिवार को उसके ही गांव के लोग बारात जाने के दौरान स्टेशन पर इंतजार नहीं करते और उनकी निगाह तुलाराम पर नहीं पड़ती तो फ़िर क्या मिलन मुमकिन था ? इसीलिए तो कहते हैं कि इस दुनिया में भी चमत्कार होते हैं। तोलाराम का यूं मिल जाना, किसी चमत्कार से कम थोड़ी ना है।