
बागी तेवर दिखाते हुए पार्टी और प्रत्याशी के खिलाफ बयान बाजी की थी इससे पार्टी में उनके खिलाफ रोष था आखिरकार उन्होंने इस्तीफा देकर इस पूरे एपिसोड का खात्मा कर दिया
बिलासपुर ठा. उदय सिंह
आखिरकार बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के नेता पूरन छाबड़िया ने भारतीय जनता पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। पेंड्रा के भाजपा नेता पूरन छावरिया ने भारतीय जनता पार्टी में आंतरिक तानाशाही का गंभीर आरोप लगाया है ।उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष को लिखे अपने इस्तीफे में कहां है कि उन्होंने 32 सालों तक पार्टी की निष्ठा और ईमानदारी से सेवा की, लेकिन अब पार्टी में लोकतंत्र के हत्यारे, देश के लुटेरे ,कानून का दुरुपयोग करने वाले और घिनौना कृत्य करने वालों का राज है, जिनके द्वारा उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में कानूनी कार्रवाई कर पिछले 15 सालों से प्रताड़ित किया जा रहा है ।इस संबंध में उन्होंने बृजलाल राठौर और जुबेर अहमद के नाम का भी जिक्र किया है पार्टी के जिला संयोजक,जैव ऊर्जा प्रकोष्ठ रहे पूरन छाबड़िया का इस्तीफा हैरानी की बात नहीं है, पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान ही उनके बागी तेवर सामने आ चुके थे।उन्होंने अचानक बिलासपुर से अमर अग्रवाल के बदले टिकट मांग कर सनसनी पैदा कर दी थी,तब पर्चा दाखिल करते वक्त उन्हें पुराने मामले में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद वे आखिरी दिन भागते भागते पर्चा दाखिल करने भी पहुंचे थे लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। जिसके बाद से माना जा रहा था कि पार्टी उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी, लेकिन पार्टी की कार्रवाई से पहले ही उन्होंने बुधवार को सभी पदों से इस्तीफा देकर पार्टी को हैरान कर दिया। दरअसल पूरन छाबड़िया जिस षडयंत्र की बात कर रहे हैं, वह उनके भाई के होटल में आबकारी विभाग द्वारा की गई कार्यवाही है जिसके तहत कानूनी प्रक्रिया जारी है। इसी बीच पूरन की राजनीतिक महत्वाकांक्षा आसमान छूने लगी और वे बिलासपुर से टिकट की मांग करने लगे। पार्टी ने इसे अनुशासनहीनता माना, जिसके बाद से उन्होंने लगातार बागी तेवर दिखाते हुए पार्टी और प्रत्याशी के खिलाफ बयान बाजी की थी इससे पार्टी में उनके खिलाफ रोष था ।
आखिरकार उन्होंने इस्तीफा देकर इस पूरे एपिसोड का खात्मा कर दिया ।बुधवार को उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ धरमलाल कौशिक ,पवन साय, डॉ रमन सिंह, सरोज पांडे और राम विचार नेताम के नाम अपना इस्तीफा दिया। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उनके दिए गए इस्तीफ़े को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि पूरन छाबड़िया विरोधी खेमे के साथ मिलकर पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।