छत्तीसगढ़बिलासपुर

बिलासपुर में सर्वधर्म सम्मेलन, संबोधित करने पहुंचे पंथ प्रचारक डॉक्टर सुखप्रीत सिंह उदोके और डॉक्टर बीबी हरशिंदर कौर

कई महत्वपूर्ण किताबों के लेखक और महान वक्ता डॉक्टर सुखप्रीत सिंह उदोके 17 से अधिक स्वर्ण पदक से सम्मानित किए जा चुके हैं

बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य

श्री गुरु नानक देव जी के 550 वे प्रकाश पर्व के अवसर पर साल भर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है, उसी क्रम में रविवार 17 फरवरी को दयालबंद गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा में सर्व धर्म सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। धन गुरु नानक देव जी का समाज को देन, विषय पर अपनी बात रखने मौजूदा दौर के सिख पंथ के सबसे बड़े दो जानकार अमृतसर के डॉक्टर सुखप्रीत सिंह उदोके और पटियाला की डॉक्टर बीबी हरशिंदर कौर शनिवार को बिलासपुर पहुंचे। दयालबंद गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष अमरजीत सिंह दुआ के साथ रायपुर से सड़क मार्ग से होते हुए बिलासपुर पहुंचे दोनों पंथ प्रचारकों ने तविंदर पाल सिंह अरोड़ा के निवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए गुरु नानक देव जी के महान विचारों की मौजूदा दौर में प्रसंगिकता पर चर्चा की। कई महत्वपूर्ण किताबों के लेखक और महान वक्ता डॉक्टर सुखप्रीत सिंह उदोके 17 से अधिक स्वर्ण पदक से सम्मानित किए जा चुके हैं। देशभर में सम्मानित होने वाले डॉक्टर उदोके देश के अलावा विदेशों में भी अक्सर अपनी बातें रखते हैं ।बिलासपुर में पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया भर के सिख संगत की इच्छा होती है कि वह गुरु नानक देव जी की शिक्षा हासिल करें और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान की रोशनी से अपने वर्तमान को रोशन करें, क्योंकि उनकी राह पर चलकर ही एक सच्चा और सुखी जीवन संभव है। डॉक्टर उदोके ने बताया कि गुरु नानक देव जी के दौर का समाज चार स्तंभों पर टिका था। राजा ,काजी मुकद्दाम और मुल्ला। आज भी हमारा समाज लोकतांत्रिक व्यवस्था में उसी तरह चार स्तंभों पर कायम है, लेकिन एक बेहतर समाज के लिए इन सभी पर धार्मिक नियंत्रण आवश्यक है।

क्योंकि जहां धर्म नहीं है वहां अधर्म है और इसी अधर्म से निपटने गुरु नानक देव जी जैसे महान आत्माओं का जन्म होता है। धर्म हमेशा राज्य संचालकों को सीमाओं का अतिक्रमण करने से रोकती है। मौजूदा दौर में भी समस्याएं कुछ अलग रूप में, मगर काफी हद तक वैसी ही है, इसलिए आज भी गुरु नानक देव जी उतने ही प्रासंगिक है। धर्म और राजनीति की जुगलबंदी के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीति में अगर धर्म से जुड़े लोग आएंगे तो राजनीति बेहतर होगी, लेकिन इसके उलट अगर धर्म में राजनीति का प्रभाव होगा तो यह प्रभाव हमेशा घातक ही होगा। उन्होंने इस बात से इंकार किया कि धर्म किसी के विचारों को संकीर्ण करती है। धर्म से कट्टरता आना संभव नहीं, यह तो राजनीतिज्ञों की साजिश है जो लोगों को धर्म के नाम पर लड़ाती है ।अगर कोई भी धर्म को अच्छे से समझ जाएगा तो फिर धर्म के नाम पर होने वाली सारी लड़ाइयां अपने आप खत्म हो जाएगी ।उन्होंने समाधान के तौर पर कहा कि गुरु से अधिक महत्वपूर्ण गुरु की सीख होती है। इसलिए हमेशा गुरु की बताई बातों का अनुसरण करना चाहिए, क्योंकि सभी धर्मों में अच्छी बातों का समावेश है। धर्म कभी बुरा नहीं होता लेकिन धर्म के नाम पर मौजूदा भटकाव इसलिए है क्योंकि धर्म का जमकर राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है और जो मौजूदा टकराव देखा जा रहा है वह भी केवल राजनीतिज्ञों की साजिश है। बिलासपुर पहुंचे डॉक्टर सुखप्रीत सिंह उदोके ने कहा कि आमतौर पर उनकी बातों में 18वीं सदी की के इतिहास का जिक्र होता है और उस दौर के समाज और गुरु की विचारधारा का विश्लेषण कर वे आज के दौर में समाधान तलाशते हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत के बंटवारे की नींव 1947 से काफी पहले पड़ चुकी थी, जिस का दंश आज भी भारत सह रहा है ।

उनके साथ बिलासपुर पहुंची डॉ बीबी हरशिंदर कौर पेशे से शिशु रोग विशेषज्ञ लेकिन उन्होंने अपना पूरा जीवन नारी उत्थान को समर्पित कर दिया है। अब तक उन्हें 100 से अधिक अवार्ड मिल चुके हैं जो यह बताने को काफी है कि उन्होंने कितना कुछ किया है ।भ्रूण हत्या रोकने के लिए पिछले 24 सालों से पिछड़े ग्रामीण इलाकों में काम कर रही डॉक्टर हरशिंदर कौर परिस्थितियों के अनुसार युक्तियों का इस्तेमाल करती है क्योंकि ग्रामीण परिवेश में अनपढ़ लोग विज्ञान की भाषा नहीं समझते ,उनसे उनके स्तर पर ही बात करनी होती है और इस शैली में वो काफी कामयाब भी है। महिला स्वतंत्रता की पैरोकार बीवी हर शिंदर कौर एक्सट्रीम फेमनिज़्म को भी घातक मानती है। उनका कहना है कि जब परिवार मैं ही महिला को पूरी आजादी मिलेगी तो 5 साल में बदलाव की ऐसी तस्वीर सामने होगी कि सब हैरान हो जाएंगे। हालांकि वो यह भी मानती है कि अधिक स्वतंत्रता नारी को निरंकुश और पथभ्रष्ट बना सकती है। जिसका दंश पश्चिम झेल रहा है। आज पश्चिम के लोग भारतीय संस्कृति और सभ्यता का अनुसरण कर रहे हैं, जबकि हम उनकी बुराई को आत्मसात करते जा रहे हैं ।हमारे वेदों ने जो ज्ञान सदियों पहले दिया था ,आज विज्ञान उस पर मुहर लगा रहा है, अरब के हमलावर हमारे बेशकीमती ग्रंथों को लूट कर ले गए थे ,जिनके अंग्रेजी तर्जुमा से ही आज पश्चिम के मुल्क भारत के इस अनमोल ज्ञान की जानकारी हासिल कर पा रहे है ।
रविवार को दो सत्र में दोनों आमंत्रित आगंतुक अपनी बातें रखेंगे। सुबह 8:30 बजे से लेकर 10:30 बजे तक समाज के साध सांगत के लिए वे प्रवचन करेंगे और शाम को 4:00 बजे से लेकर 7:00 बजे तक सर्व धर्म सम्मेलन का आयोजन होगा, जिसमें बिलासपुर के सभी समाजों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

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