
जुगनू तंबोली
रतनपुर-आदिशक्ति माता दुर्गा के 51 शक्ति पीठों में एक रतनपुर की मां महामाया का महानवमी पर राजसी वैभव के साथ षोडश श्रृंगार किया गया। साल में सिर्फ तीन बार ही ऐसे मौके आते हैं, जब माता का
सोलह श्रृंगार
किया जाता है। इसमें माता को कंठाहार, मुक्ता हार, रानी हार, करधन, ढार सहित सोलह तरह के सोने के दिव्य गहनों से श्रृंगार किया जाता है।मंदिर के मैनेजिंग ट्रस्टी सुनील सोंथोलिया ने बताया कि साल में सिर्फ तीन मौकों पर ही सोलह श्रृंगार किए जाते हैं।
चैत्र और शारदीय (क्वांर) नवरात्रि की महानवमी पर और दीपावली के दिन यह दिव्य राजसी श्रृंगार होता है। बाकी दिनों में मुकुट, छत्र, हार, तोड़ा का श्रृंगार रहता है। मां महामाया मंदिर में यह परंपरा है कि प्रतिपदा पर घट स्थापना के साथ देवी मां का जो श्रृंगार किया जाता है, वह महाअष्टमी पर हवन तक रहता है।
इसके बाद महानवमी और रामनवमी पर सोलह श्रृंगार करते हैं। यह परंपरा बरसों से चली आ रही है। 1982 में ट्रस्ट बनने के बाद भी इस परंपरा को आगे बढ़ाया जा रहा है।