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बिलासपुर- पंचायत चुनाव में एक सरपंच प्रत्याशी ने पीठासीन अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए है, जिसके पीछे की वजह जो उसने बताई है वह चौकाने वाली है। दरअसल सरपंच प्रत्याशी रमेश को मतगणना के बाद पीठासीन अधिकारी ने एक भी वोट नही मिलने की घोषणा की, जिससे सभी को हैरानी हुई जबकि उसके घर मे ही 12 वोटर है इसके बाद भी एक भी वोट न मिलना किसी गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहा है, प्रत्याशी ने बताया है कि चलो मान लेते है कि उसके परिवार के सदस्यों ने उसे वोट नही दिया, लेकिन जो वोट उसने खुद को दिया है वह कहाँ गया, लिहाज़ा मामले में गंभीर गड़बड़ी उजागर हुई है जिसकी जांच होनी चाहिए।
मामला मरवाही जनपद पंचायत क्षेत्र के पिपरिया ग्राम पंचायत का है जहां सरपंच पद के प्रत्याशी रहे रमेश कुमार मरावी को ट्यूबलाइट छाप का चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया रमेश ने भी चुनाव जीतने की लालसा में हैंड बिल और पर्चियां छपवा कर अपना प्रचार घर-घर किया शारीरिक रूप से दिव्यांग रमेश ने मतदान और मतगणना के दौरान बार-बार खड़े होने और बैठने से बचने के लिए अपने एक एजेंट की नियुक्ति कर दी, मतदान के दौरान सब कुछ सुचारू रूप से चलता रहा, पर जब मतगणना का वक्त आया तब पीठासीन अधिकारी ने रमेश के प्रतिनिधि के बार-बार आपत्ति दर्ज कराने पर आपत्ति करते हुए उसे मतगणना केंद्र से बाहर कर दिया और दरवाजा भी बंद कर दिया और जब रिजल्ट आया तो रमेश के पैरों तले जमीन खिसक गई मतगणना के बाद रमेश को एक भी वोट प्राप्त नहीं हुए उसके वोटों की संख्या शून्य 0 बताई गई ।
उन्होंने बताया कि माता-पिता भाई-बहन बहू और पत्नी के साथ मेरे परिवार के सदस्यों की संख्या ही 12 है। यदि मैं मान लूं कि माता-पिता के अलावा भाई बहनों ने भी मुझे वोट नहीं किया पत्नी ने भी वोट नहीं किया तो भी मेरा खुद का वोट कहां गया क्या मैं अपने आप को भी वोट नहीं करूंगा? रमेश को अपने साथ पक्षपात का होने का पूरा विश्वास है और उसने पूरे मामले की लिखित शिकायत अनुविभागीय अधिकारी गौरेला से की है साथ ही शिकायत के बाद रमेश को आशंका है कि विरोधी लोग उसके ऊपर हमला न कर दें इसलिए उसने पूरे मामले की शिकायत एवं सुरक्षा की मांग गौरेला थाने में लिखित रूप से की है।