
छत्तीसगढ़ मत्स्य क्षेत्र अधिनियम 1948 एवं छत्तीसगढ़ मत्स्य क्षेत्र संशोधन अधिनियम 2015 के अनुसार उपरोक्त प्रतिबंधित मछलियों का पालन, मत्स्य बीज उत्पादन, संवर्धन, आयात निर्यात, परिवहन तथा विपणन दण्डनीय अपराध है
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
विदेशी सभ्यताएं देसी सभ्यताओं को निगल जाती है । उसी तरह विदेशी मछलियां भी देसी मछलियों के अस्तित्व के लिए खतरा बन चुकी है। अधिक उत्पादन और अधिक मास प्राप्त करने के लालच में थाईलैंड मांगूर और बिग हेड का पालन कुछ किसान और मत्स्य पालक कर रहे हैं, लेकिन इनकी वजह से देसी मछलियों और अन्य जलीय जीवो का अस्तित्व संकट में आ रहा है। लिहाजा शासन द्वारा इन मछलियों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है ।बिग हैड एवं थाईलैण्ड मांगुर मछलियों का पालन, मत्स्य बीज उत्पादन, संवर्धन, आयात, निर्यात, परिवहन तथा विपणन को प्रतिबंधित किया गया है।
उप संचालक मत्स्य पालन विभाग बिलासपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार बिग हैड (हाईपोप्थेलमिक्थिस नोबीलीस) एवं थाईलैण्ड मांगुर (क्लेरियस गेरीपिनस) के पालन से भारतीय प्रजातियों के विनाश की पूर्ण आशंका है। थाईलैण्ड मांगुर उच्च मांस भक्षी मछली है। बिग हेड एवं थाईलैण्ड मांगुर पालन से अन्य सभी जल जीवों की हानि होती है। भारतीय मत्स्य प्रजातियों एवं अन्य जल जीवों के सुरक्षित प्रजनन पालन एवं वंश को सुरक्षित रखने के लिये यह प्रतिबंध लगाया गया है।
छत्तीसगढ़ मत्स्य क्षेत्र अधिनियम 1948 एवं छत्तीसगढ़ मत्स्य क्षेत्र संशोधन अधिनियम 2015 के अनुसार उपरोक्त प्रतिबंधित मछलियों का पालन, मत्स्य बीज उत्पादन, संवर्धन, आयात निर्यात, परिवहन तथा विपणन दण्डनीय अपराध है।
उक्त प्रतिबंध का उल्लंघन किये जाने पर दस हजार रूपये अथवा एक वर्ष का कारावास या दोनों दण्ड से दण्डित किया जाएगा।