
जुगनू तंबोली

रतनपुर – खूंटाघाट में ऐतिहासिक गणेष चतुर्थी के मेले में लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। तीज त्यौहार के मौके पर मायके पहुची बहन बेटियों ने परिवार के साथ जमकर मेले का लुत्फ उठाया। यहां नहरो से छोड़े जा रहे पानी के मनोरम दृष्य ने मेले को और भी आकर्शक बनाया। बिलासपुर और जांजगीर जिलें के सवा दो सौ गांवों के सैकड़ों किसानों की चिंताए खूंटाघाट जलाशय से छूट रही नहरों की अविरल धाराओं में खो जाती है।

लबालब बांध के पानी से हर्षित किसान अपनी खुशीयां बांटने हर साल परिवार के साथ गणेष चतुर्थी पर यहां पहुचते हैं। बारिश के बाद का बांध का मनोरम दृष्य भी यहां सैलानियों को आकर्षित करता है। गणेश चतुर्थी पर खुटाघाट में लगने वाले परंपरागत मेले से जन भावनाएं भी जुड़ी हुई है।

खेती किसानी के कामों से फुरसत पा चुके वर्षो पहले किसान यहां कबड्डी और कुष्ती के स्पर्धाओं का आयोजन भी करते थे। हालांकि ऐसे आयोजन की यादें ही लोगों के दिलों में बची है। पर परंपरागत मेले की चमक आज भी बरकरार है। ऐसे आयोजनों की परंपराओं को सहेजना भी जरूरी है।