
उदय सिंह
मस्तूरी – शासकीय योजनाओं का कागज पर भलीभाँति क्रियान्वयन किया जाता है लेकिन जमीनी स्तर पर उस योजना और व्यवस्था की पोल खुल जाती है, ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें मस्तूरी विकासखंड अंतर्गत आने वाले जोंधरा के उन्नत प्राथमिक शाला संजयनगर में 5 वीं की छात्राओं को स्कूल का टॉयलेट साफ करते हुए पाया गया, जब छात्राओं से इसकी जानकारी ली गई तो उनका कहना था कि टॉयलेट गंदा था, जिसकी वजह से बदबू आती थी और उपयोग करने में परेशानी होती थी, जब किसी ने सफाई नही की तो उन्होंने खुद मिलकर टॉयलेट की सफाई करने का निर्णय लिया। जब उसने स्कूल के सफाईकर्मी के बारे में पूछा गया तो जानकारी मिली सफाईकर्मी है लेकिन वह स्कूल नही आते।
प्रधान पाठक की भूमिका पर भी संदेह…
मामले में स्कूल के प्रधान पाठक की भूमिका भी संदेह जता रही है कि कही उनके कहने पर तो बच्चे टॉयलेट साफ करने नही लगे थे, जब उनसे पूछा गया तो वो साफ इससे मुकर गए, वही उन्होंने सफाईकर्मी होने की बात भी कही।
सफाईकर्मी रहता है नदारत….
मामले में जब जानकारी जुटाई गई तो यह तथ्य भी सामने आया कि स्कूल में पदस्थ सफाईकर्मी प्रधान पाठक का भतीजा है, जो कभी कभी ही स्कूल आता है, ऐसे में बच्चों को ही स्कूल की सफाई करनी पड़ती है।
अब इस घटना ने यह तो उजागर कर दिया कि सरकारी स्कूलों में सफाई व्यवस्था कैसी चल रही है, वेतन लेने वाले तो केवल अपनी हाजरी भर रहे है और काम बच्चों को करना पड़ रहा है।