
प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक भी संभावितो में से एक चेहरा हो सकते हैं। हालांकि कई मर्तबा उन्होंने भी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की बात कही है लेकिन नेताओं के वादे और मौसम का क्या भरोसा, कब बदल जाए
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद अब भारतीय जनता पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में जोरदार वापसी करने की तैयारी में है। विधानसभा चुनाव में हार की वजह से पार्टी के पास जाने- पहचाने चेहरों की भरमार है । जो प्रत्याशी चुनाव में हार गए और जिन्हें जीत मिली है दोनों तरह के प्रत्याशियों को लोकसभा चुनाव में आजमाया जा सकता है ।साथ ही कुछ नए चेहरे भी संभावितो में हो सकते हैं। अगर हम बिलासपुर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां भी कई दावेदार अपनी दावेदारी पेश करते नजर आ रहे हैं ,इनमें से कई चेहरे वह है जो पहले से ही संभावितो में से माने जाते थे तो वहीं कुछ नए चेहरे भी उभर कर आए हैं । पूर्व मंत्री और बिलासपुर के पूर्व विधायक अमर अग्रवाल को इस दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है। विधानसभा चुनाव हारने की वजह से वैसे भी उनके समक्ष कोई विकल्प नहीं है, विधानसभा चुनाव से पहले भी उन्होंने कई बार यह संकेत दिए थे कि वे प्रदेश की राजनीति से अब ऊब चुके हैं और उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में जाने की इच्छा गाहे-बगाहे दर्शाई थी। हालांकि विधानसभा चुनाव हारने के बाद और मौजूदा स्थिति में भी उनके पक्ष में बेहतर माहौल न दिखने से कई बार सार्वजनिक रूप से चुनाव न लड़ने की बात अमर कह चुके हैं लेकिन अगर पार्टी उन्हें टिकट देती है तो पूरी उम्मीद है कि वे इंकार नहीं करेंगे। वहीं संभावितो में से दूसरा नाम है मौजूदा सांसद लखनलाल साहू का नाम। वर्तमान सांसद होने की वजह से वे स्वाभाविक रूप से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं, लेकिन इस बार उनका टिकट कटना लगभग तय माना जा रहा है । पिछली बार उनका चयन अमर अग्रवाल की सहमति से ही हुआ था जाहिर है अगर अमर अग्रवाल खुद चुनाव लड़ना चाहेंगे तो वह खुद को पीछे रखकर लखनलाल साहू को आगे बढ़ाने की दरियादिली तो नहीं दिखाएंगे ,इसलिए लखनलाल साहू के चयन की संभावना बहुत कम है। अविभाजित मध्यप्रदेश में खाद्य मंत्री रहे मूलचंद खंडेलवाल भले ही सक्रीय राजनीती में नहीं होने की वजह से दावेदारी ना पेश कर रहे हो लेकिन उनके पुत्र दीपक खंडेलवाल की सक्रियता अचानक से बढ़ गई है और यह पूरे शहर में चर्चा का विषय है।
मूलचंद खंडेलवाल जिस वक्त खाद्य मंत्री थे तो उन्होंने एक स्लोगन दिया था, मीठा खाओ मीठा बोलो । अब उसी पुराने नारे को बुलंद करते हुए दीपक खंडेलवाल ने बिलासपुर में जगह जगह अपने पोस्टर लगा दिए हैं। पोस्टर वार शुरू कर दीपक खंडेलवाल ने अघोषित रूप से अपनी दावेदारी पेश की है। प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक भी संभावितो में से एक चेहरा हो सकते हैं। हालांकि कई मर्तबा उन्होंने भी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की बात कही है लेकिन नेताओं के वादे और मौसम का क्या भरोसा, कब बदल जाए। तखतपुर के पूर्व विधायक राजू सिंह क्षत्री को इस बार विधानसभा की टिकट नहीं दी गई थी, भीतर के खाने से यह खबर आ रही थी कि उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट देने का वायदा किया गया था इसलिए राजू सिंह क्षत्री भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं ।भारतीय जनता पार्टी की बैठक में उन्होंने बाकायदा अपनी दावेदारी पेश कर सनसनी फैला दी थी। बिलासपुर में अरुण साव भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं तो वही लंबे वक्त से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सक्रिय रहे डॉ विनोद तिवारी की भी दावेदारी मजबूती से रखी जा रही है। ब्राह्मण और सवर्ण लॉबी के प्रतिनिधि के तौर पर उन्हें पेश किया जा रहा है भाजपा और संघ में उनकी अच्छी दखल है। चिकित्सा क्षेत्र में भी वे एक जाना पहचाना नाम है ।
डॉ विनोद तिवारी संघ के विभाग सह संचालक का दायित्व निभाने के साथ ही भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष, आर्थोपेडिक संघ के ईस्ट जोन के अध्यक्ष भी हैं । अविभाजित मध्यप्रदेश के जमाने में तीन बार जुडो के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और उन्होंने 5 वर्षों तक आई एम ए के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली है। साफ छवि वाले डॉक्टर तिवारी को शिक्षित वर्ग के प्रतिनिधि के तौर पर पेश किया जा रहा है और बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उनका सिंगल नाम पार्टी को प्रत्याशी बतौर दिया है ।
इन विशेषता के कारण उनकी दावेदारी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पिछले विधानसभा चुनाव में शैलेश पांडे इन्हीं वजहों से लोकप्रिय हुए थे और अंततः उन्हें चुनाव जीतने में कामयाबी मिली थी। यही वजह है कि बिलासपुर से डॉक्टर विनोद तिवारी की दावेदारी अचानक से उभर कर सामने आई है। वैसे शुक्रवार को रायगढ़ में प्रधानमंत्री की सभा में मंच पर मौजूद चेहरों को भी आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के संभावित उम्मीदवारों के रूप में देखा जा रहा है। इसे लेकर पूरे प्रदेश में चर्चाएं गर्म है। बताया जा रहा है कि जो 11 लोग प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा कर रहे थे उन्हें विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था। उस लिहाज से अगर देखें तो बिलासपुर से अमर अग्रवाल की दावेदारी और मजबूत हो रही है। राजनीतिक विश्लेषक जो कयास लगा रहे हैं वह अगर सच हुई तो फिर रमन सिंह राजनांदगांव से, अभिषेक सिंह दुर्ग से ,अमर अग्रवाल बिलासपुर से ,ओपी चौधरी रायपुर से, भूपेंद्र सवन्नी कोरबा से, सत्यानंद राठिया रायगढ़ से ,राम प्रताप सिंह सरगुजा से, केरा बाई मनहर जांजगीर से संभावित प्रत्याशी हो सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष डॉक्टर रमन सिंह को इसकी जिम्मेदारी दी गई है और उन्हीं के द्वारा प्रत्याशियों के नाम पर फैसला लिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच पर मौजूद सभी से अलग अलग बातचीत करते हुए उन्हें चुनाव प्रचार में जुट जाने को कहा है इसलिए इसे एक संकेत माना जा रहा है ,लेकिन वास्तविक स्थिति का पता तो सही वक्त पर ही लगेगा। कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद पार्टी के लगभग सभी बड़े चेहरे सत्ता का हिस्सा बन चुके हैं ,लगता नहीं कि वे लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमाएंगे लेकिन जिन्हें मंत्री पद नहीं मिला है वैसे नेता नेताओं को लोकसभा चुनाव में आजमाया जा सकता है लेकिन भाजपा की तरह अभी कांग्रेस ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कुल मिलाकर लगता है आगामी लोकसभा चुनाव छत्तीसगढ़ के नजरिए से बेहद दिलचस्प होगा।