बिलासपुर

पुलिस विभाग में नौकरी का झांसा देकर 1 करोड़ की ठगी का मामला…बर्खास्त आरक्षक ने डीजीपी कोटे से भर्ती का दिया था हवाला

रमेश राजपूत

बिलासपुर – पुलिस विभाग में नौकरी लगाने का झांसा देकर अब तक की बड़ी ठगी का मामला सामने आया है, जिसमें कुल 21 लोगों से 1 करोड़ 13 लाख रुपए की ठगी की गई है। ठगी का एहसास होने पर पीड़ितों ने इसकी शिकायत आईजी आनंद छाबड़ा से मिलकर की। उनके निर्देश पर सिविल लाइन थाने में आरोपी के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है वही आरोपी फरार है। आरोपी पूर्व में भी ठगी के मामले में जेल में रह चुका है। जिसके चलते उसे बर्खास्त कर दिया गया था। मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है। पुलिस के अनुसार मस्तूरी के जयरामनगर निवासी 24 वर्षीय महेश पाल पिता गेंदराम पाल को सरकारी नौकरी की तलाश थी गेंद रामपाल की पहचान पुलिस लाइन निवासी आरक्षक पंकज शुक्ला से हुई। पंकज शुक्ला ने उसे बताया कि वह आईजी कार्यालय बिलासपुर में पदस्थ है। आरक्षक ने महेश को झांसा दिया कि उसका पुलिस विभाग में बड़े अधिकारियों से परिचय है और वह डीजीपी कोटा के तहत उसकी नौकरी पुलिस विभाग में आसानी से लगवा सकता है। आरोपी आरक्षक ने उसे झांसा दिया कि वह उसके अलावा उसके दोस्तों को भी आरक्षक की नौकरी लगवा सकता है। जिस पर महेश पाल सहित 21 लोगों ने अलग-अलग किस्तों में आरोपी आरक्षक को एक करोड़ 13 लाख रुपए दिए। रुपए लेने के लिए आरोपी पीड़ितों को फर्जी नियुक्ति पत्र भी दिखाया करता था और कहता था कि बाकी की रकम मिलने के बाद वह नियुक्ति पत्र देगा। पीड़ितों ने बताया कि आरक्षक पंकज शुक्ला के अलावा उसका जीजा रमाशंकर पांडेय उर्फ राजा भी इस काम में संलिप्त है। आरोपी ने पूर्व में ( जून, 2022) एक युवक को जॉइनिंग लेटर भी दे दिया। जिसे लेकर युवक ऑफिस पहुंचा तब मामले का खुलासा हो सका और इस मामले में गिरफ्तारी भी आरक्षक पंकज शुक्ला की हुई। जिसके बाद उसे बर्खास्त कर दिया गया था। पीड़ित ने ठगी का एहसास होने पर इसकी शिकायत आईजी आनंद छाबड़ा से की। आईजी के निर्देश पर बर्खास्त आरक्षक पंकज शुक्ला व उसके जीजा के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज कर विवेचना की जा रही है।

अब तक 21 शिकायतकर्ता आ चुके है सामने..

आरक्षक पंकज शुक्ला ने महेश पाल से 8 लाख, किशन पाल से 8 लाख, टिकेश्वर पास से 8 लाख, रोहित तिवारी से 3 लाख, सुरेश पाल से 8 लाख, हिंसाराम निर्मलकर से 16 लाख, दिनेश कुमार पाण्डेय से साढ़े 6 लाख, त्रिलोकी सिंह मार्को से ढाई लाख, सुरेश कश्यप से 3 लाख, मोतीलाल मिश्रा से 6 लाख, रामचन्द्र उपाध्याय से 6 लाख, अभिजीत सिंह से 5 लाख, भीमसेन राठौर से 3 लाख, वेदप्रकाश मिश्रा से 3 लाख, गणेश पाल से 4 लाख, नरेंद्र कुमार साहू से 7 लाख, बिपिन प्रकाश मिश्रा से 3 लाख, विरेंद्र त्रिपाठी से 3 लाख, रवि पाठक से 3 लाख और विनोद मिश्रा से 3 लाख रुपए पुलिस विभाग में नौकरी लगवाने के नाम पर लिए थे। अब एफआईआर दर्ज होने के बाद और भी मामले सामने आने की आशंका है।

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