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सिख धर्म के पंचम गुरु श्री अर्जुन देव महाराज का 414 वा शहीदी दिवस शुक्रवार को मनाया गया । इस अवसर पर दयालबंद स्थित श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा में विशेष दीवान सजाकर अरदास की गई। गुरु अर्जुन देव को शहीदों का सरताज और शांतिपुंज कहा जाता है ।
गुरु ग्रंथ साहिब में मौजूद 30 रागों में गुरु जी की वाणी संकलित है ।गोइंदवाल साहिब में उनका जन्म 15 अप्रैल 1563 को हुआ था। कट्टर मुस्लिम शासक जहांगीर उनसे नाराज था और उन्हें सह परिवार पकड़ने का हुक्म जहांगीर द्वारा जारी किया गया था। उनको अपने मार्ग से डिगाने कठिन कष्ट दिए गए । इस तरह उन्होंने शहीदी को प्राप्त किया।
शहीदों के सरताज गुरु अर्जुन देव महाराज की शहीदी पर्व पर सुबह अलग-अलग समूह द्वारा शबद कीर्तन की प्रस्तुति दी गई। सबसे पहले मनिंदर सिंह ने शबद कीर्तन प्रस्तुत किया। तत्पश्चात मानसिंह और फिर हरदयाल सिंह और कृपाल सिंह ने हाजिरी भरी।
इन दिनों हर तरफ सूखे की मार है। इसी अवस्था को देखते हुए गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी द्वारा अनो
खी पहल की गई । यहां पहुंचने वाले सभी साध संगत को एक-एक पौधा प्रसाद के रूप में प्रदान किया गया ,साथ ही उनसे यह विनती की गई कि इस पौधे की अच्छी तरह देखभाल कर पानी, खाद, सुरक्षा का इंतजाम करें, ताकि यह पौधा एक दिन वृक्ष का का आकार ले सके । पौधा वितरण कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉक्टर देवेंद्र सिंह और नवनीत सिंह राठौर का विशेष योगदान रहा
शबद कीर्तन पश्चात यहां अरदास किया गया। गुरुद्वारा में मत्था टेकने हजारों की संख्या में सिख धर्म के अनुयाई पहुंचे । गुरु अर्जुन देव महाराज के शहीदी पर्व पर दयालबंद गुरुद्वारा में छबील सेवा भी प्रदान की गई। शबद कीर्तन और अरदास के पश्चात यहां गुरु का अटूट लंगर भी वरताया गया।
सिख पंथ, शौर्य और बलिदान की गाथाओं से भरा पड़ा है। 10 गुरुओ द्वारा देश और हिंदुत्व की रक्षा के लिए अनगिनत कुर्बानिया दी गई । गुरु अर्जुन देव के शहीदी पर्व पर उन्हीं कुर्बानियों का एक बार फिर स्मरण किया गया।