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छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस सुप्रीमो की जाति का मामला लंबे वक्त से सुर्खियों में है। कोर्ट में लंबित इस मामले में कई बार खुद अजीत जोगी के लिए आए नरम गरम फैसले कभी उन्हें राहत देते हैं तो कभी उनकी मुश्किलें बढ़ा देते हैं । विधानसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं पाने के बाद राजनीतिक वनवास झेल रहे अजीत जोगी के लिए एक और बुरी खबर राजधानी रायपुर से आई है। जाति मामले मे पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मामले की जांच कर रही आदिम जाति विभाग के सचिव डी डी सिंह की अध्यक्षता वाली हाईपावर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में अजीत जोगी को आदिवासी नहीं माना है। हाईपावर कमेटी ने अजीत जोगी के सभी जाति प्रमाण पत्रों को निरस्त कर दिया है। कमेटी ने तय किया है कि जोगी को अनुसूचित जनजाति के लाभ की पात्रता नहीं होगी। हाईपावर कमेटी ने छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) नियम 2013 के नियम 23 (3) एवं 24 (1) के प्रावधानों के तहत कार्यवाही के लिए बिलासपुर कलेक्टर को निर्देशित किया है। वहीं नियम 2013 के नियम 23(5) के प्रावधानों के तहत उप पुलिस अधीक्षक को प्रमाण पत्र जप्त करने के निर्देश दिए हैं।

जाहिर है इस फैसले से अजीत जोगी की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। वे खुद को आदिवासी नेता की तौर पर प्रोजेक्ट करते रहे हैं। वैसे भी माना जा रहा है कि मरवाही के अलग जिला बन जाने से क्षेत्र में उनकी पैठ कम हुई है। अब अगर वे गैर आदिवासी भी करा दे दिए जाते हैं तो फिर यह करेला पर नीम चढ़ा साबित होगा।