
प्रवीर भट्टाचार्य
दिल की अनियमित धड़कनों को नियंत्रित करने के लिए पेसमेकर चमत्कारी उपकरण है । तेजी से बढ़ते दिल के मरीजों को पेसमेकर लगाकर नई जिंदगी प्रदान की जा रही है, तो वही कई कारणों से पेसमेकर की नियमित जांच भी जरूरी है ।सामान्यतः निजी अस्पतालों में इस जांच में डेढ़ से दो हज़ार रुपये का खर्च आता है, जिसे वहन करना एक सामान्य मरीज के लिए आसान नहीं। इसी बात को मद्देनजर रखते हुए बिलासपुर केंद्रीय चिकित्सालय में विगत 8 वर्षों से प्रति 6 माह के अंतराल से निशुल्क पेसमेकर जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है। खास बात यह है कि यहां रेलवे कर्मचारियों के अलावा गैर रेलवे के मरीजों के पेसमेकर की भी जांच निशुल्क की जाती है । इस शुक्रवार सुबह 9:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक आयोजित निशुल्क पेसमेकर जांच शिविर में बड़ी संख्या में पेसमेकर लगा चुके मरीज अपने पेसमेकर की जांच के लिए पहुंचे।
रेलवे अस्पताल में कूल 146 मरीजों के पेसमेकर की जांच की गई, जिनमें रेलवे के 89 और बाहर के 57 मरीज शामिल रहे। इनमें से चार मरीजों का बैटरी पूरी तरह समाप्त पाया गया। यानि जितनी जल्दी मुमकिन हो उनका ऑपरेशन जरूरी है। वही दो मरीज ऐसे पाए गए हैं जिनका ऑपरेशन अगले 3 महीने के भीतर करना अनिवार्य है। यहां 47 साल की अंजना और 79 साल के इ कुजूर के पेसमेकर बदले गए। दोनों ही गैर रेलवे के मरीज हैं। 17 ऐसे भी मरीज थे जिनके पेसमेकर में थोड़ी बहुत गड़बड़ियां थी, जिससे यहां रिप्रोग्रामिंग किया गया। शुक्रवार को जांच कराने पहुंचे मरीजों में 9 वर्ष का बालक आयुष भी शामिल था और 99 साल के बुजुर्ग एस एस वैद्य ने भी अपने पेसमेकर की जांच कराई ।
पेसमेकर की जांच कराने पहुंचने वालों में बिलासपुर के अलावा खरसिया मुंगेली रायपुर भिलाई नागपुर , नैनपुर शहडोल उमरिया सतना के भी मारीजी शामिल थे। अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सी के दास ने बताया कि नियमित रूप से पेसमेकर की जांच बेहद जरूरी है, क्योंकि अगर इसमें किसी तरह की खराबी आ जाती है तो इसकी जानकारी ना होने पर मरीज की जान भी जा सकती है ।
शुक्रवार के निशुल्क पेसमेकर जांच शिविर को पेसमेकर बनाने वाली कंपनियों बोस्टन साइंटिफिक, बायोट्रॉनिक, मेडट्रॉनिक, सेंट ज्यूड का भी सहयोग मिला। जिनके विशेषज्ञों ने रेलवे अस्पताल को सहयोग करते हुए सेवा प्रदान की।
अनियमित दिनचर्या और कई वजहों से दिल के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। केंद्रीय अस्पताल होने की वजह से बिलासपुर के रेलवे अस्पताल में भी दिल के मरीजों की तादाद लगातार बढ़ रही है। ऐसे में यहां डॉक्टर सी के दास जैसे विशेषज्ञ की नियमित मौजूदगी बेहद अहम है। हाल ही में उनके तबादले की खबर से मरीजों में मायूसी फैल गई थी और रेलवे के विभिन्न संगठनों ने इसका पुरजोर विरोध कर उनका तबादला स्थगित करवाया। शुक्रवार को पेसमेकर जांच के लिए पहुंचे एक मरीज आर के सिंह ने चर्चा के दौरान बताया कि एक बार मशीन में खराबी की वजह से उनकी जान पर बन आई थी। ऐन वक्त पर अपनी यात्रा स्थगित कर पहुंचे डॉक्टर सी के दास के इलाज से उनकी जान बच पाई। इसलिए उन्होंने भी बिलासपुर के रेलवे अस्पताल में डॉ सी के दास के बने रहने की वकालत की।
बिलासपुर केंद्रीय अस्पताल में हर 6 महीने में आयोजित होने वाला निशुल्क पेसमेकर जांच शिविर पेसमेकर लगा चुके हृदय रोगियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। देश में यह अपनी तरह का पहला और एकमात्र शिविर है , जिसे बिलासपुर रेलवे अस्पताल में विगत 8 वर्षों से निरंतर आयोजित किया जा रहा है ।आगामी शिविर का आयोजन करीब 6 महीने बाद फिर किया जाएगा। शुक्रवार के इस शिविर में लक्ष्य को हासिल किया गया और 146 मरीजों ने यहां पहुंचकर अपनी जांच कराई। इस शिविर की खास बात यह है कि यहां पहुंचने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, फिर भी डॉक्टर सीके दास का मानना है कि अब भी शिविर को लेकर अधिक प्रचार-प्रसार की जरूरत है क्योंकि बहुत से मरीजों को अब भी शिविर की जानकारी नहीं है, साथ ही उन्होंने भारत के अन्य प्रांतों में भी इस प्रकार के शिविर आयोजन करने की जरूरत पर जोर दिया है। उनका मानना है ऐसे शिविरों से पेसमेकर के मरीज अकाल मृत्यु से बच सकते हैं । इस शिविर में डॉ सी के दास के साथ डॉक्टर मारुति त्रिपाठी,डॉ दीपक देवांगन भी शामिल थे ।उनके अलावा रेलवे अस्पताल के ए एन ओ सुनीता सोनवने , मेट्रन राथोद, मीन, नामलिन अमिता मनीषा उमाशंकर भरातू विल्सन बीना का भी सहयोग शिविर को सफल करने में रहा। शिविर में बी पी विश्वास अरुण शर्मा और मोहम्मद सलाउद्दीन की भी खास भूमिका रही।