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लोकसभा में पारित राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक के विरोध की आहट बिलासपुर में भी सुनाई पड़ी। बुधवार को आईएमए के आह्वान पर निजी हॉस्पिटल के ओपीडी बंद रहे, जिसका व्यापक असर देखने को मिला। सुबह से ही मरीज हॉस्पिटल के चक्कर कटाते नजर आए। हालकि शासकीय हॉस्पिटल में इसका असर कम ही रहा। लेकिन बिलासपुर के आइएमए के पदाधिकारियों ने सीएमडी चौक आइएमए भवन में बैठक आयोजित की थी। जिसमे आइएमए के सभी पदाधिकारियों ने नये बिल पर अपने विचार रखे। इस दौरान उन्होंने बताया कि यह विधेयक डाक्टरों के हित में नहीं है। इससे इलाज और चिकित्सा सुविधाएं महंगी होंगी और बोझ मरीजों की जेब पर पड़ेगा। आईएमए ने इसका विरोध किया है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ छह महीने के क्रैश कोर्स कर यूनानी या आयुर्वेदिक चिकित्सक एमबीबीएस चिकित्सक की बराबरी नहीं कर सकता है। बिल पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। मेडिकल कॉलेज की 50 फीसदी सीटें ओपन करने, एमबीबीएस में पांच साल पढ़ाई के बाद एग्जिट एग्जाम सरासर गलत है। आईएमए से जुड़े चिकित्सकों ने बताया कि लोकसभा में पास एनएमसी बिल को अलोकतांत्रिक और देश की स्वास्थ्य सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाला काला बिल इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि इस बिल के सेक्शन 32 के अनुसार सरकार द्वारा करीब 3.5 लाख अप्रशिक्षित व्यक्तियों को मॉडर्न एलोपैथी प्रैक्टिस की अनुमति दी जाएगी. इसके अनुसार सभी अप्रशिक्षितों को प्रैक्टिस की कानूनी मान्यता मिल जाएगी. इसे चिकित्सक समुदाय कभी स्वीकार नही करेंगा, क्योंकि यह देश की स्वास्थ्य सुरक्षा पर कुठाराघात होगा. जिसको लेकर आगे भी आंदोलन जारी रहने की बात कही जा रही है।