
उदय सिंह
शनिवार, बिलासपुर के लिए ऐतिहासिक दिन साबित हुआ। परिसीमन के साथ बिलासपुर का नक्शा अब पूरी तरह बदलने जा रहा है। विधायक शैलेश पांडे शुरू से ही बिलासपुर शहर से लगे नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायत को बिलासपुर नगर निगम में शामिल कर बिलासपुर शहर को विस्तार देने की वकालत कर रहे थे। उनकी योजना में कुल 29 गांवों को शामिल किया जाना था। हालांकि उन्हें पूरी तरह सफलता तो नहीं मिली, लेकिन शनिवार को जारी आदेश के अनुसार बिलासपुर नगर निगम क्षेत्र में 18 ग्रामीण इलाकों को जरूर शामिल कर लिया गया। इससे जहां बिलासपुर नगर निगम का क्षेत्रफल बढ़ा है वहीं अब बिलासपुर को बी क्लास सिटी का दर्जा भी मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
आबादी के लिहाज से भी बिलासपुर अहर्ता पूरी कर रहा है। शनिवार को जारी आदेश अनुसार बिलासपुर नगर निगम सीमा क्षेत्र से लगे 29 की बजाए एक नगर पालिका, तीन नगर पंचायत और 14 ग्राम पंचायतों को मिलाकर कुल 18 ग्रामीण इलाकों को बिलासपुर नगर निगम में शामिल कर लिया गया है। इससे ग्रामीण इलाकों की तस्वीर और तकदीर बदल जाएगी हालांकि वहां के नागरिक संपत्ति कर , जलकर आदि के भुगतान को लेकर नगर निगम में शामिल होने से इंकार कर रहे थे और जनसुनवाई के दौरान विरोध में भी स्वर सुनाई पड़े थे। पहले भाजपा ने परिसीमन का प्रयास किया तो कांग्रेसियों ने उसका पुरजोर विरोध किया । जब कांग्रेस की सरकार परिसीमन की योजना बनाने लगी तो भाजपा के विधायकों ने कलेक्टर के साथ हुई बैठक में कई मुद्दों को लेकर विरोध किया था। बिल्हा क्षेत्र के विधायक धरमलाल कौशिक ने तो बाकायदा ऐलान कर दिया था कि वे किसी भी कीमत में बिल्हा को नगर निगम में शामिल नहीं होने देंगे। सुझाव, विचार विमर्श के बाद कुल 18 ग्रामीण इलाकों को बिलासपुर नगर निगम सीमा क्षेत्र में शामिल किया गया है। इससे जहां नगर निगम की आय में बढ़ोतरी होगी, वही पिछड़े ग्रामीण इलाकों में भी विकास की गति तेज होगी ।अब इन इलाकों की जिम्मेदारी नगर निगम के पास होने से हालात बेहतर होने की उम्मीद की जा सकती है। शनिवार को जारी आदेशानुसार इन ग्रामीण इलाकों को बिलासपुर नगर निगम में शामिल किया गया है
नगर पालिका तिफरा , नगर पंचायत सिरगिट्टी , नगर पंचायत सकरी , ग्राम पंचायत मंगला , ग्राम पंचायत उसलापुर , ग्राम पंचायत अमेरी , ग्राम पंचायत घुरू , ग्राम पंचायत परसदा, ग्राम पंचायत दोमुहानी ,ग्राम पंचायत देवरीखुर्द , ग्राम पंचायत मोपका, ग्राम पंचायत चिल्हाटी , ग्राम पंचायत लिंगयाडीह , ग्राम पंचायत बिजौर , ग्राम पंचायत बहतराई , ग्राम पंचायत खमतराई , ग्राम पंचायत कोनी , ग्राम पंचायत बिरकोना,
और भी कई इलाके ऐसे थे जिन्हें बिलासपुर नगर निगम में शामिल किया जाना प्रस्तावित था, लेकिन विरोध और शहरी सीमा से दूरी के चलते उन इलाकों को फिलहाल शामिल नहीं किया गया है। हालांकि इस आदेश का भारतीय जनता पार्टी और बिलासपुर महापौर किशोर राय ने भी विरोध किया है और कहा कि इससे ग्रामीण इलाकों का विकास रुक जाएगा और बिलासपुर नगर निगम पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। हालांकि इन बयानों को विरोध की राजनीति से जोड़कर देखा जाना चाहिए। भाजपा विपक्ष में होने के नाते इससे अलग कुछ कह भी नहीं सकती, लेकिन सच तो यह है कि बिलासपुर नगर निगम में शामिल हो जाने के बाद अब इन इलाकों में भी तेजी से विकास होगा। खासकर देवरीखुर्द के लोग लंबे अरसे से बिलासपुर नगर निगम में शामिल होने की राह तक रहे थे। इस फैसले से उन की वर्षों पुरानी मांग पूरी हुई है।