
आलोक
बारिश के लिए तरसता शहर एक रात की बारिश से ही जलमग्न हो गया। पहले तो पेयजल की व्यवस्था करने में नाकाम रहे बिलासपुर नगर निगम की पोल पानी निकासी व्यवस्था पर भी एक बार फिर से खुल गयी। शहर के अधिकांश निचले हिस्सों में कई कई फीट पानी भर गया। सुबह जब लोगों की आंखें खुली तो घर में पानी घुस चुका था और पानी के ऊपर घर के सामान और फर्नीचर तैर रहे थे। बिलासपुर के लिए यह नजारे हैरान करने वाले हैं। पिछले कुछ सालों से बिलासपुर ने अल्प वर्षा को झेला है।
इस साल अगस्त का पहला सप्ताह भी बिक चुका है और शहर ठीक-ठाक बारिश की राह देख रहा था। ऐसे में बुधवार शाम के आसपास से शुरू हुई बारिश रात को तेज हुई और सुबह होते होते शहर के कई इलाके जलमग्न हो गए । कई इलाकों में तो रात में ही बारिश का पानी घरों में घुसने लग गया था और कॉलोनीया तालाब बनी नजर आने लगी थी। जिसके बाद लोगों की नींद उड़ गई और वे घर से पानी निकालने की जद्दोजहद में जुट गए। खासकर बिलासपुर शहर के सरकंडा इलाके में सीपत रोड, अशोकनगर, जोरापारा, बंधवापारा ,इमली भाठा, अरविंद नगर मार्ग, बंगाली पारा, चांटीडीह, चिंगराजपारा, कपिल नगर जैसे इलाकों में कई कई फीट पानी घरों में घुस गया। सड़कें तालाब बनी नजर आई।
ऐसा ही कुछ हाल शहर के बीचोबीच पुराना बस स्टैंड, श्रीकांत वर्मा मार्ग, मित्र विहार कॉलोनी में भी नजर आए। घरों में ही घुटनों तक और कहीं-कहीं कमर तक पानी भर गया। खुद विधायक के घर के आस-पास तालाब जैसी स्थिति बन गई, लेकिन जैसे ही जलभराव की खबर प्रशासन को लगी प्रशासनिक अमला सक्रिय हो गया। स्वयं विधायक शैलेश पांडे, महापौर किशोर राय, आयुक्त प्रभाकर पांडे के साथ रेस्क्यू टीम उन इलाकों में पहुंच गई जहां जलभराव था। जनप्रतिनिधि और अफसरों को देखते ही लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने परेशानियों के लिए प्रशासन को कोसते हुए अपनी भड़ास निकाली।
इस दौरान हालांकि प्राथमिकता, व्यवस्था बहाली की है और वर्षा जल निकासी की व्यवस्था पर जोर दिया जा रहा है। बिलासपुर में कई स्थानों पर आपात कालीन स्थिति नजर आ रही है, जहां बचाव के लिए गोताखोर तैनात किए गए हैं, लेकिन यहां भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। विधायक शैलेश पांडे इसके लिए पिछले 15 साल के शासन काल को दोषी ठहरा रहे हैं और भविष्य में ऐसी स्थिति ना होने का दावा भी किया जा रहा है। विधायक शैलेश पांडे ने आरोप लगाया कि पिछले 15 सालों में ऐसी समस्या लगातार आई लेकिन उसका निदान नहीं किया गया। नतीजतन इस बार भी बारिश में लोगों को बाढ़ जैसे हालात का सामना करना पड़ रहा है।
राहत टीम के साथ पहुंचे महापौर किशोर राय ने तत्काल अपनी टीम को व्यवस्था बहाली के निर्देश दिए और नगर निगम के कर्मचारी पानी निकासी के प्रबंध में जुट गये। महापौर किशोर राय का दावा है कि जिस जिस इलाके में जलभराव की स्थिति है वहां इसके पीछे बेजा कब्जा धारी दोषी है। जल निकासी के क्षेत्र में बेजा कब्जा कर लिया गया है। जिस कारण वर्षा जल की निकासी मुमकिन नहीं हो पा रही और यही वजह है कि इलाक़ों में बारिश के चलते कई कई फीट पानी भर गया है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि बारिश के तुरंत बाद सभी बेजा कब्जा को प्राथमिकता के साथ हटाया जाएगा।
राहत टीम के साथ मौजूद नगर निगम आयुक्त प्रभाकर पांडे ने पहली बार बिलासपुर में ऐसी हालत देखे है। लिहाजा हालात से निपटने उन्होंने अलग अलग टीम बनाकर सभी प्रभावित क्षेत्रों में तैनात कर दिया है। गोताखोरों के साथ राहत टीम किसी भी आपात स्थिति से निपटने को पूरी तरह तैयार है । वही जरूरत पड़ने पर उन्होंने प्रभावितों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाने का भी भरोसा दिलाया है।
क्षेत्र के कांग्रेसी पार्षद राजेश शुक्ला को इस बहाने राजनीति करने का अवसर मिल गया और उन्होंने समस्या के लिए ठीकरा भाजपा शासित नगर निगम पर फोड़ा। राजेश शुक्ला ने दावा किया कि पिछले 15 सालों में नगर निगम में कांग्रेसियों की नहीं सुनी गई इसीलिए हालात ऐसे बन गए हैं।
सच्चाई यह है कि बिलासपुर की बनावट किसी कटोरे की तरह है। इसमें कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां स्वाभाविक तौर से बरसात का पानी जमा होता है। वही पानी निकासी की व्यवस्था भी कमजोर है ।साथ ही बारिश के पहले नालों की सही ढंग से सफाई नहीं हो पाई। इसलिए जब बारिश का पानी अधिक मात्रा में जमा हो गया तो फिर एक साथ उसकी निकासी मुमकिन नहीं हो पायी। ऐसे में एक दूसरे को कोसने से हालात सुधरने वाले नहीं हैं। अगर सभी मिलजुल कर व्यवस्था बहाली का प्रयास करेंगे तभी नागरिकों को राहत मिल सकती है। इस दौरान एक बुजुर्ग नागरिक की बात भी यकीनन जिक्र करने लायक है। जिन्होंने कहा कि यह जलजमाव तो एक-दो दिनों की परेशानी की वजह है, लेकिन बारिश इस शहर के लिए बेहद जरूरी है । यही जमा पानी धरती के भीतर जाए और बिलासपुर शहर को पूरे वर्ष भर पानी उपलब्ध हो यह उससे भी ज्यादा जरूरी है। लिहाजा कोशिश यही होनी चाहिए कि बारिश का यह अनमोल जल व्यर्थ न बह जाये, पूरा ज़ोर इसे हर हाल में संचित करने पर दिया जाना चाहिए। यही समय की मांग है।