रतनपुर

महाशिवरात्रि के इस विशेष अवसर पर….करते है महादेव के इस रूप का दर्शन…और जानते है इस विशेष शिवलिंग के बारे में

जुगनू तंबोली

रतनपुर – फागुन माह में आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है, इस दिन शिव भक्त व्रत रखते है और शिव जी की पूजा करते है, आइए हम आपको महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर में एक ऐसे अदभूत,अलौकिक,और रहस्यमय शिवलिंग के बारे में बताने और दर्शन कराने जा रहे है जिसके दर्शन मात्र से आपका रोम रोम शिवमय हो जायेगा। मां महामाया की नगरी रतनपुर जिसे लहुरीकाषी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर रामटेकरी के ठीक नीचे स्थापित है बूढा महादेव का मंदिर। इस मंदिर को वृधेश्वर नाथ के नाम से भी पुकारा और जाना जाता है।

कहते है कि बुढा महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वंयभू है और यदि इसे गौर से देखें तो भगवान शिव की जटा जिस प्रकार फैली होती है ठीक उसी प्रकार दिखलाई देता है। शिवलिंग के तल पर स्थित जल देखने पर ऐसा प्रतीत होता है मानों पुरी आकाशगंगा या ब्रम्हांण्ड इसमें समाया हुआ हो। इस शिवलिंग में जितना भी जल अर्पित कर ले उसका जल उपर नहीं आता और शिवलिंग के भीतर के जल का तल एक सा बना रहता है इस शिवलिंग पर चढाया जल कहां जाता है यह आदिकाल से आज तक इस रहस्य को कोई ना जान सका। सावन के पवित्र माह में भगवान षिव के इस अदभूत षिव लिंग पर जलाभिशेक करने हजारों की तादात में श्रध्दालूओं की भीड उमडती है कांवरिये अपने कांवर का जल लेकर बूढा महादेव को चढातें है। वही महाशिवरात्री पर शिव भक्तों का दर्शन के लिए तांता लगा रहता है

वर्षों से है गहरी आस्था का केंद्र…

वृधेश्वर नाथ मंदिर प्राचीन मंदिर है 1050 ई में राजा रत्नदेव दवारा इस मंदिर का र्जीणोध्दार किया गया था। यह मंदिर कितना पुराना है इस बात की जानकारी नही है। इस मंदिर को लेकर अनेक किवदंती है उसके बारे में बतलाते हुए कहते है कि वर्शो पहले एक वृध्दसेन नामक राजा हुआ करता था जिसके पास अनेंक गाये हुआ करती थी जिसे लेकर चरवाहा जंगल में चरानें जाता था तो उसके साथ चरने गई गायों में एक गाय झुण्ड से अलग होकर बांस के धनी धेरे में धुस जाया करती थी और वहां अपने थनों से दुग्ध छरण कर रुद्राभिशेक किया करती थी यह कार्य प्रति दिन होता था। चरवाहे नें गाय का रहस्य जान इस बात की जानकारी राजा रुद्रसेन को दी राजा ने भी इस बात की पुष्टि कर आष्चर्य किये बिना ना रह सका।

लेकिन राजा को बात समझ नहीं आई उसी रात भगवान ने राजा को स्वप्न देकर अपने होने का प्रमाण दिया और उस स्थान पर मंदिर बनाये जाने और पुजा किये जाने की बात कही और इस प्रकार राजा वृध्दसेन ने अपने नाम के साथ भगवान का नाम जोडकर मंदिर का नाम वृध्देष्वरनाथ मंदिर रखा। आज भी भक्तो के साथ साथ कांवरिये आते है और भगवान भोलेनाथ को जल चढा अपनी मनोकमना पूरी करने प्राथना करते है।

error: Content is protected !!
Letest
तेलसरा में गौरा-गौरी मिटिंग के बाद खूनी विवाद...युवक पर धारदार हथियार से जानलेवा हमला, 5 आरोपी गिरफ्... तेलसरा में गौरा-गौरी मिटिंग के बाद खूनी विवाद, युवक पर धारदार हथियार से जानलेवा हमला...पेट की अंतड़िय... मोबाइल ऐप के जरिए क्रेडिट कार्ड के नाम पर 1.69 लाख की ऑनलाइन ठगी...सरकंडा थाने में मामला दर्ज खनिज विभाग की छापामार कार्रवाई... अवैध खनन और परिवहन करते 08 वाहन जब्त, दूसरी पत्नी के विवाद में पहली पत्नी पर ब्लेड से जानलेवा हमला....आरोपी पति पर मामला दर्ज चरित्र शंका में पत्नी की कुल्हाड़ी मारकर हत्या, कोटा पुलिस ने आरोपी पति को किया गिरफ्तार सूर्य उपासना का सबसे बड़ा महापर्व... श्रमदान कर छटघाट में की गई सफाई...रविवार को खरना पूजा के साथ शुर... शराब के लिए पैसे नही देने पर ग्रामीण की गला घोंटकर हत्या.... दो आरोपी गिरफ्तार मस्तूरी में धर्मांतरण का मामला उजागर...पुलिस ने छह आरोपियों के खिलाफ दर्ज किया अपराध, प्रार्थना सभा ... सेक्सटॉर्शन:-अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी देकर 1.50 लाख की ठगी, तीन आरोपियों पर मामला दर्ज