
डेस्क
काली कमाई का जरिया बन चुके रेत घाट में रेत उत्खनन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से नई सरकार ने निविदा आमंत्रित कर घाटो की नीलामी की योजना तैयार की है। इसके लिए 9 सितंबर से निविदाएं आमंत्रित की गई और 16 सितंबर तक आवेदन जमा किए गए। अंतिम दिवस आवेदन प्रक्रिया में गहमागहमी नजर आई। इच्छुक फर्म और संस्थाओं ने सील बंद निविदा जमा किए है। जिले के आता 18 रेत घाटों के लिए बड़ी संख्या में आवेदन जमा हुए हैं।
खास बात यह है की रेत घाटों की नीलामी की प्रक्रिया में कई नए चेहरे उभर कर आए हैं, जिनका अब तक रेत घाट या रेत उत्खनन से दूर-दूर तक का सरोकार नहीं था। इससे पहले रेत घाटों का संचालन ग्राम पंचायत द्वारा किया जाता था। जिसमें सरपंच और बाहुबलियों की मिलीभगत से वारा न्यारा किया जा रहा था। खनिज उत्पाद की अफरा-तफरी ने रेत माफिया को जन्म दिया था, जिसे खत्म करने सरकार ने नीलामी की प्रक्रिया से रेत घाटों का ठेका देने का फैसला किया है। इसके लिए 17 सितंबर मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में सील बंद लिफाफे खोले जाएंगे और जिसके बाद यहां बोली लगाई जाएगी। सर्वाधिक बोली लगाने वाले संस्था या व्यक्ति को रेत घाट के संचालन की जिम्मेदारी मिलेगी। ऐसा माना जा रहा है कि सत्ता में काबिज होने की वजह से इसमें कांग्रेसी नेताओं की काफी पकड़ है और निविदा जमा करने वालों के पीछे भी कई धनकुबेर और बाहुबली सक्रिय हैं । शहर के कुछ खास नेताओं के दरबार में इन दिनों रेत घाट हासिल करने के लिए ऐसे ही लोगों के जुटने का नजारा भी देखने को मिल रहा है ।आरोप तो यह भी लग रहे हैं की रेत घाट का ठेका दिलाने के एवज में लाखों रुपए रिश्वत का लेन-देन भी चल रहा है । हालांकि पूरी प्रक्रिया के पारदर्शी होने का दावा किया जा रहा है लेकिन निविदा के दर और अन्य जानकारियां संबंधित विभाग द्वारा चाहते आवेदकों को उपलब्ध कराने की बात भी निकल कर सामने आ रही है। मंगलवार को होने वाली नीलामी प्रक्रिया के बाद स्पष्ट हो पाएगा की रेत घाटों का ठेका किन्हे मिला है। हालांकि मैदान में सामने जो चेहरे नजर आ रहे हैं उनके पीछे के चेहरे कुछ और ही हैं ,जो रेत घाटों के नाम पर निवेश कर रहे हैं। जाहिर है इन निवेशकों का अंतिम उद्देश्य मुनाफा कमाना है लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि रेत घाटों की जिम्मेदारी इस तरह देने के बाद उपभोक्ताओं को कितनी सहजता से और कम मूल्य में रेत उपलब्ध हो पाता हैं ।