
मरवाही- सुदूर वनांचल को विकास की राह पर बढ़ने मदद करने वाला सोन नदी पर बना पुल अब बूढ़ा हो चुका है, पुल के पाए जर्जर हो चुके है और वह कभी भी धराशाई हो सकता है, बावजूद इसके इस पुल की ओर न प्रशासनिक अधिकारी ध्यान दे रहे है न क्षेत्रीय विधायक, हाल यह है कि दो प्रमुख् क्षेत्र पेंड्रा और मरवाही के बीच का यह सेतु अब किसी बड़ी दुर्घटना को न्यौता दे रहा है। दरअसल मामला मरवाही के पिपरडोल पूल का है, जिसका निर्माण कार्य 1998 तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी दुवारा सांसद निधि के कार्यकाल मे पीडब्ल्यूडी द्वारा करवाया गया था, आज 21 साल बीत जाने के बाद अब तक इस पूल को न तो कोई देखने वाला आया है न ही इसकी मरम्मत हुई है।
जर्जर पूल से आये दिन सैकड़ो वाहन गुजरते है जो जान जोखिम में डाल के यहाँ से आवागमन कर रहे है। जिनकी मजबूरी है कि मरवाही पेण्ड्रा को जोड़ने वाला यह एकलौता रास्ता है और इस पर यह खतरनाक हो चुका पुल ही एक माध्यम है। पुल के सामने एक मात्र बोर्ड लगाकर प्रशासन ने भी अपना पल्ला झाड़ लिया है। जबकि कई बार जर्जर पूल की वजह से कई दुर्घटनाएं हो चुकी है, पुल मरम्मत के लायक नही है, लिहाज़ा यहां नया पुल बनाने की जरूरत है, लेकिन अब यह देखने वाली बात है कि कब यहाँ नए पुल का निर्माण होता है, फ़िलहाल रास्ते हो दोनों किनारों से बंद कर आवागमन को रोकना जरूरी है ताकि कोई बड़ी दुर्घटना न घटे। इसके अलावा वनांचल की मूलभूत सुविधाओं में से एक इस महत्वपूर्ण जरूरत को जल्द पूरा किया जा सके इसकी पहल होने की आवश्यकता है, साथ ही जिम्मेदार अफसरों को भी केवल कागजी खेल खेलने के अलावा जमीनी हकीकत का आंकलन करना चाहिए। क्षेत्रवासियों को नई सरकार से आस है जो विकास के लिए प्रतिबद्ध है, मगर अधिकारियों की ऐसी ही उदासीनता बरकरार रहेगी तो विकास के बातें केवल खोखली साबित होंगी।