
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने वर्तमान लैलूंगा विधायक और रिटर्निंग अधिकारी सहित कुल 10 अनावेदकों को नोटिस जारी किया है, मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद की जाएगी

बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
छत्तीसगढ़ में विधानसभा निर्वाचन 2018 की घोषणा के बाद 31अक्टूबर 2018 को बहुजन मुक्ति पार्टी द्वारा ग्राम पूँजीपथरा तहसील तमनार जिला रायगढ़ स्थानीय निवासी तारिका तरंगिनी जाति उराँव को नामांकन पत्र दाख़िल कराया गया। नामांकन पत्र की सभी प्रविष्टियाँ सही थीं। इसके दूसरे दिन रिटर्निंग अधिकारी ने याचिकाकर्ता से कहा कि पता चला है कि आप सरकारी नौकरी में स्वास्थ्य कार्यकर्ता थीं, तो इसलिए डिटेल लिख के एक और नामांकन फार्म जमा कर दो। इसके पालन में 1 नवम्बर 2018 को याचिकाकर्ता ने फिर एक नामांकन पत्र भरा, जिसमें लिखा कि लंबे समय से अनुपस्थिति के कारण विभाग ने मेरी उपस्थिति मान्य नहीं की।और 2 वर्षों से नौकरी में नहीं हूँ। लेकिन फ़ॉर्म की कंडिका 2 के प्रश्न कि – क्या अभ्यर्थी भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण कर रहा है इसके जवाब में रिटर्निंग अधिकारी ने याचिकाकर्ता को हाँ पर टिक करवा दिया, और फिर यह लिखकर कि अभ्यर्थी ने स्वयं नौकरी में होना बताई है, लेकिन इस्तीफ़ा स्वीकार प्रमाण पत्र नहीं दिया और 3 नवम्बर को उसी के आधार पर नामांकन ही निरस्त कर दिया।
पहला नामांकन पत्र भी बिना किसी गलती के निरस्त कर दिया। तब 15 जनवरी 2019 को उनके द्वारा उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दाखिल की गई।गुरुवार को याचिकाकर्ता की ओर से उनके अधिवक्ता अभिषेक पांडेय, संतोष पांडेय के द्वारा मामले में तर्क प्रस्तुत किये गये। इस पर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने वर्तमान लैलूंगा विधायक और रिटर्निंग अधिकारी सहित कुल 10 अनावेदकों को नोटिस जारी किया है, मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद की जाएगी।