
भुवनेश्वर बंजारे
पेंड्रा – नए जिले के अस्तित्व में आते ही जिला कलेक्टर के निर्देश पर नियम विरुद्ध काम कर रहे डॉक्टर दंपत्ति के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की गई है। जिसमें बिना लाइसेंस के संचालित निजी हॉस्पिटल को सील करने के कार्यवाही की गई है। पेंड्रा के ओंकार शोभा हॉस्पिटल पर यह कार्यवाही जिला पेंड्रा के कलेक्टर शिखा राजपूत के निर्देश पर की गई है। दरसअल जिला कलेक्टर को सूचना मिली बिना लाइसेंस के गौरेला के ओंकार शोभा हॉस्पिटल का संचालन किया जा रहा है। साथ ही यहाँ डॉक्टर दंपत्ति द्वारा ऑपरेशन कर इलाज शुरू कर दिया गया है। जिसके आधार पर जिला कलेक्टर शिखा राजपूत ने एसडीएम को मामले की जांच करने निर्देश दिया। था। रविवार को इसको लेकर एसडीएम और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम ने अवैध रूप से संचालित हो रहे गौरेला स्थित ओंकार शोभा हॉस्पिटल को सील कर दिया है वहीं डॉक्टर व कर्मियों का बयान दर्ज कर रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी गई है। गौरतलब है। कि डॉ.अखिलेश तिवारी और उसकी पत्नी डॉक्टर शोभिता तिवारी का गौरेला में ओंकार शोभा हॉस्पिटल है हॉस्पिटल संचालन के लिए डॉक्टर दंपत्ति ने टीसी एंड पीएनडीटी एक्ट के तहत हॉस्पिटल के संचालन के लिए आवेदन किया था
स्वास्थ्य विभाग द्बारा लाइसेंस देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी लेकिन इसके पूर्व ही डॉक्टर दंपति ने मरीजों का उपचार और जांच शुरू कर दी थी हद तो तब हो गई जब हॉस्पिटल में मरीजों को भर्ती कर ऑपरेशन करना शुरू कर दिया था। जिसका खुलासा बिलासपुर सीएमएचओ प्रमोद महाजन के साथ एसडीएम मयंक चक्रवर्ती के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा हॉस्पिटल में छापेमारी के दौरान हुआ। इस बीच अस्पताल में मरीजों का इलाज चल रहा था स्टाफ व अन्य कर्मी भी काम कर रहे थे टीम ने तत्काल डॉक्टर दंपत्ति से सभी मरीजों को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए कहा इसके बाद डॉक्टर और कर्मियों का बयान लिया गया वहीं टीम ने बिना लाइसेंस के संचालित हो रहे अस्पताल को सील कर बंद करने की कार्रवाई की है।
अवैध हॉस्पिटल की जानकारी से जानकर तो अनजान नही स्वास्थ्य विभाग??
गौरेला के ओंकार शोभा हॉस्पिटल विगत कई महीनों से संचालित किया जा रहा है। जबकि उक्त हॉस्पिटल को स्वास्थ्य विभाग ने कोई भी लाइसेंस जारी नही किया है। इसके बावजूद उसे आयुष्मान योजना के तहत उपचार करने के लिए पंजीकृत किया गया। ऐसे में इन सबके बावजूद स्वास्थ्य महकमें के आला अफसरों को इसकी जानकारी नही होना, कई सवालो को जन्म दे रहा है?? कि क्या स्वास्थ्य विभाग के ऊंचे ओहदे में बैठने वाले अधिकारियों से ही हॉस्पिटल प्रबंधन को हौसला मिल रहा था या फिर यह सब जानकार भी स्वास्थ्य विभाग आखिर अब तक चुप क्यों था? यह सभी सवाल स्वास्थ्य विभाग के कार्यप्रणाली पर बदनुमा दाग के रूप में साबित होता नजर आ रहा है!