बिलासपुर

लंबित मांगों को लेकर कर्मचारी संघ आया सामने, काली पट्टी लगाकर कर रहे प्रदर्शन….74 हजार से अधिक कर्मचारी है प्रभावित

भुवनेश्वर बंजारे

बिलासपुर – छत्तीसगढ़ शासकीय अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के बैनर तले बुधवार को जिले में शासकीय अधिकारी और कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर काली पट्टी लगाकर सांकेतिक प्रदर्शन किया। जिसमे छत्तीसगढ़ विद्यालयीन शिक्षक कर्मचारी संघ,छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य कर्मचारी संघ सविदा प्रकोष्ठ सहित 22 अन्य कर्मचारी संगठन के चार लाख 74 हजार कर्मचारी ने राज्य सरकार से अपनी मांगों की पूर्ति को लेकर काली पट्टी लगाकर ध्यान आकर्षित करने की शुरुवात की है।

जो 31 जून तक जारी रहेगा। जिसके परिपालन में बिलासपुर जिला के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत समस्त संवर्ग के नियमित एवं संविदा कर्मचारी अधिकारियों ने काली पट्टी लगा कर कार्य सम्पादन करते हुए शासन का ध्यान आकर्षण कराया है। इस दौरान संघ के सदस्यों ने बताया कि 30 जून तक यदि शासन ने कर्मचारियों के अहितकर आदेश निरस्त करते हुए कोविड19 में कार्यरत समस्त संवर्ग के कर्मचारियों को पूर्व में घोषित जोखिम भत्ता देने, सभी अधिकारी कर्मचारियों का 50 लाख का बीमा करने, सातवें वेतनमान का एरियर्स भुगतान करने ,9 प्रतिशत डी ए एरियर्स भुगतान करने आदेश प्रसारित नही किया जाता है तो 1 जुलाई को प्रदेश के समस्त अधिकारी कर्मचारियों के साथ बिलासपुर जिले के समस्त कर्मचारी अधिकारी काला दिवस मनाने में भाग लेंगे।

प्रथम पंक्ति में काम करने वाले कोरोना वारियर्स हो रहे हताश, क्या राज्य सरकार लेगी राहत दिलाने वाले निर्णय?

कोरोना महामारी ने वैसे तो पूरे विश्व को अपने चपेट में ले लिया है। जिससे भारत के साथ न्यायधानी भी अछूता नही है। इस संकट काल मे भी स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी भी जितोड़ मेहनत कर रहे है। जिसको लेकर छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य कर्मचारी संघ सविदा प्रकोष्ठ के चिकित्सक, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, एन एच एम के संविदा सदस्य फ्रंट लाइन में आकर पिछले ढाई महीने से दिन रात काम कर रहे है। जिसके बाद भी राज्य सरकार ने उनकी वेतन वृद्धि रोक दी है। इस मामले में छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के सविदा प्रकोष्ठ के संभाग अध्यक्ष श्याम दुबे ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्षों से संविदा में कार्यरत कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है। जबकि वर्तमान के मुख्यमंत्री ने सरकार बनने के 10 दिन के अंदर संविदा कर्मचारियों को नियमित पदों मे संयोजन करने की घोषणा की थी।

जो अभी तक पूरी नही हुई है। साथ ही कोविड 19 में कार्यरत सभी कर्मचारी अधिकारी को जोखिम भत्ता देने की घोषणा के बाद भी कोई राहत नही मिली है। इसके अलावा राज्य के कर्मचारियों एवं पेंशनरों को जुलाई 19 एवं जनवरी 20 से देय कुल 9 प्रतिशत मंहगाई भत्ता का भुगतान एवं कोविड19 में कार्यरत अधिकारी कर्मचारियों का 50 लाख का बीमा भी नही किया जा रहा है। इस मामले में राज्य शासन को ज्ञापन भी दिया जा चुका है। पर अभी तक कोई उचित निर्णय नही लिया गया। जिसके मद्देनजर अब कर्मचारी संघ को आंदोलन का रुख अख्तियार करना पड़ा है।

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