
रमेश राजपूत
बिलासपुर – हमेशा से जरूरतमंदो की मदद के लिए तत्पर रहने वाले जज्बा वेलफेयर सोसायटी,,,इस कोरोना संकट के दौर में भी थैलासीमिया पीड़ित बच्चो के इलाज के लिए कटिबद्ध है। लिहाजा इस आर्थिक विपदा के समय में भी पीड़ितो को आंशिक मदद मिल रही है। हालांकि इंसानियत के इस काम को लेकर हर कोई आगे नही आता,ऐसे में बिलासपुर कलेक्ट्रेट स्थित नजूल कार्यालय में कार्यरत आर. आई. प्रतिज्ञा राही ने औरों को प्रेरित करते हुए, थैलासीमिया पीड़ित बच्चो को आर्थिक राहत दी है। मालूम हो जज़्बा सामाजिक संस्था द्वारा विगत कई वर्षों से इन थैलासीमिया पीड़ित बच्चों की सहायता की जा रही है। लेकिन इनदिनों संस्था को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है इसलिए ये केवल उनके लिए ब्लड डोनर की ही व्यवस्था कर पाते हैं
ऐसे में संस्था के संयोजक संजय मतलानी द्वारा सोशल मीडिया पर शहर के लोगों से इन बच्चों की मदद करने की गुहार लगाई और आर्थिक सहायता की मांग की,क्योंकि इन बच्चों को दवाइयां मिलना बेहद ज़रूरी है अन्यथा इनका जीवन संकट में पड़ सकता है। जब आर. आई. प्रतिज्ञा राही ने जज़्बा की पोस्ट फेसबुक पर देखी तत्काल उन्होंने संस्था से संपर्क कर अपनी तरफ से 15 डब्बी दवाइयों की सहायता करने की बात कही जिसे सुनकर संस्था के सदस्यों को फिलहाल चिंता से मुक्ति मिली,,आपको बता दें कि इन बच्चों को हर महीने 2 बोतल खून और डेसिरोक्स नाम की महंगी दवाई भी लगती है जिसकी एक डब्बी 30 गोली की कीमत 1521/- रुपये है और यह दवाएं बढ़ती उम्र के साथ साथ डोज़ भी बढ़ता है,लेकिन जिले में अब भी ऐसे कई परिवार है जो इस भारी भरकम खर्च को वहन नही कर सकते। पर जज्बा के प्रयासों ने इन परिवारों की उम्मीदों को कभी टूटने नही दिया,पर सवाल यह है,,कि क्या इंसानियत निभाने की जिम्मेदारी केवल जज्बा सोसायटी के माथे है..? या फिर अब अंचल में ऐसे सक्षम लोग है जो थैलासीमिया पीड़ित को सहारा बन सकते है!
गुल्लक तोड़कर की मदद..
जज्बा द्वारा सोसल मीडिया में थैलासीमिया पीड़ित बच्चो के इलाज हेतु सहयोग देने अपील की,, जिसे देख आर. आई. प्रतिज्ञा तो भावुक हुई ही लेकिन जब इसकी जानकारी उनकी 9 साल की सुपुत्री को नृत्या राही को मिली। उन्होंने तुरंत अपनी जमा की गई राशि देने का निर्णय लिया। फिर क्या नन्ही नृत्या अपनी गुल्लक तोड़कर उसके सारे पैसे थैलासीमिया पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए दे दिए। इस दौरान प्रतिज्ञा ने बताया कि उनकी बेटी बचपन से परिवार से मिले ऐसे संस्कारो की वजह से इन कामो मे आगे रही है , वो अपने जन्मदिन पर पौधरोपण करती है , गरीबो में खाना बांटने जाती है , उसकि इन गतिविधियों से उसके साथ पढ़ने वाले स्कूल के अन्य बच्चे भी ऐसे कार्य करने मेंं लगे हैं !!