
भुवनेश्वर बंजारे
बिलासपुर-प्रदेश में जारी कोरोना कहर के बीच बिलासपुर कोविड 19 हॉस्पिटल से रविवार को राहत भरी खबर आई है। यहाँ जांजगीर के दो श्रमिको की कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद हॉस्पिटल प्रबंधन ने उनको डिस्चार्ज कर दिया है। इस मामले में हॉस्पिटल के डॉक्टर मनोज जायसवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि बीते दिनों जांजगीर से कुल पांच मरीजो को इलाज के लिए कोविड 19 हॉस्पिटल बिलासपुर लाया गया था। जहाँ उनका इलाज काफी गभीरता से किया गया। जिसके फलस्वरूप शुक्रवार को तीन मरीजो को सकुशल हालात में हॉस्पिटल से छुट्टी दी गई।
जिसके बाद रविवार को दो और मरीजो को डिस्चार्ज किया गया है। बताया जा रहा है की डिस्चार्ज किए गए मरीजों कि वर्त्तमान में दो बार सैम्पलिंग कर रिपोर्टिंग के लिए रायपुर भेजा गया था। जहाँ से मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। उक्त मरीजो के छुट्टी होने के बाद अब पुराना बस स्टैंड स्थित कोविड 19 हॉस्पिटल में 23 मरीजो का उपचार चल रहा है। जिसमे बिलासपुर जिले के 14, कोरबा के 6 सहित गौरेला,पेंड्रा,मरवाही के 3 मरीज शामिल है। जिनकी जल्द ठीक होने की संभावना जताई जा रही है।
सीएमएचओ को नही दी गई जानकारी! आखिर क्या थी इसकी वजह…?
पूर्व से विवादों में रही जिला अस्पताल की सिविल सर्जन डॉ मधुलिका सिंह ने अब तो हद ही पार कर दी! मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने रविवार को कोविड 19 हॉस्पिटल से होने वाले मरीजों की छुट्टी की जानकारी ना तो मीडिया को दी और ना ही जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ प्रमोद महाजन को, उन्होंने स्वस्फूर्त ही मरीजो को छुट्टी दे दी। जिसकी जानकारी मीडिया को होने के बाद जब मीडियाकर्मी मौके पर पहुँचे तो मैडम साहिबा न्यूज़ कवरेज करने से भी मना करने लगी। ऐसे मे ये सवाल उठना तो लाज़मी है कि आखिर
स्वास्थ्य महकमे के प्रमुखों को मरीजों के डिस्चार्ज किए जाने की जानकारी क्यो नही दी गई…..? सूत्रों की माने तो विभाग में आपसी मतभेद और मीडिया से तवज्जो नही मिलने की वजह से खफा चल रही विवादित मैडम ने इतना बड़ा कारनामा कर दिखाया है। जिन्हें कम से कम अपने पद की गरिमा का तो ख्याल रखना चाहिए था।