छत्तीसगढ़मरवाही

पुलिस कस्टडी में पिटाई के बाद किसान की मौत से चौतरफा हंगामा, नेता प्रतिपक्ष ने हत्या का मामला दर्ज करने की मांग रखी तो वही विभाग दोषी थानेदार को दे रहा क्लीन चिट

घटना के बाद नेता प्रतिपक्ष ने प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर दोषी थानेदार के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की तो वही एसपी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर आरोपी थानेदार को लगभग क्लीन चिट दे दिया

बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य

मरवाही थाना प्रभारी इ एक्का और उसकी टीम द्वारा एक किसान की बेरहमी से पिटाई के बाद उसकी मौत की घटना ने राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया है। इस मौत से पूरे प्रदेश में भूचाल आ गया है। इस घटना को कांग्रेस और भाजपा के चश्मे से देखने की वजह से मरवाही से लेकर बिलासपुर तक हंगामा मच गया है। मरवाही क्षेत्र के ग्राम कुम्हारी में रहने वाले किसान चंद्रिका प्रसाद तिवारी का उनके पड़ोसी तुलसी तिवारी और गंगा तिवारी के साथ जमीन को लेकर पुराना विवाद रहा है। इसी मामले में रविवार 7 अप्रैल को एक बार फिर विवाद गहरा गया तो चंद्रिका प्रसाद तिवारी के परिवार ने डायल 112 सेवा को फोन कर दिया, जिसके बाद पहुंचे डायल 112 के पुलिसकर्मियों ने दोनों परिवारों को थाने बुलाया। चंद्रिका प्रसाद की पत्नी कली बाई तिवारी अपने बेटे दिनेश तिवारी के साथ थाने पहुंची। वही पीछे पीछे चंद्रिका प्रसाद तिवारी भी थाने पहुंच गए । आरोप लगाया जा रहा है कि इसी दौरान आग बबूला थाना प्रभारी ई एक्का ने फोन लगा कर 112 को परेशान करते हो कहते हुए चंद्रिका प्रसाद तिवारी और उनके बेटे दिनेश तिवारी के साथ मारपीट शुरू कर दी। दोनों को गंदी गंदी गालियां देते हुए उन्हें बुरी तरह पीटा गया। इनकी इतनी बेरहमी से पिटाई की गई कि दिल के मरीज चंद्रिका प्रसाद का एक दांत भी टूट गया। लहूलुहान हो चुके चंद्रिका प्रसाद का इलाज कराने की बजाय टीआई ने कह दिया कि इसे सुबह से ले जाकर किसी अस्पताल में फेक आना। रात भर में चंद्रिका प्रसाद तिवारी की तबियत और बिगड़ती चली गई। दूसरे दिन यानि सोमवार को उन्हें 151 की कार्यवाही कर तहसील भेज दिया गया लेकिन वहां भी तहसीलदार के ना होने की वजह से उन्हें शाम तक बिठाए रखा गया। इस दौरान जब चंद्रिका प्रसाद की तबीयत और खराब होने लगी तो उन्हें आनन-फानन गाड़ी मंगा कर अस्पताल और फिर सैनिटोरियम ले जाया गया, लेकिन उनकी तबीयत खराब होने की वजह से उन्हें बिलासपुर के सिम्स रेफर कर दिया गया । घायल चंद्रिका प्रसाद का बेटा उन्हें लेकर बिलासपुर आ रहा था कि तभी रतनपुर के पास चंद्रिका प्रसाद की तबीयत और ज्यादा खराब हो गई तो उन्हें तुरंत रतनपुर हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा, जहां रात करीब 8:00 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस मामले में मृतक की पत्नी कली बाई और बेटे दिनेश तिवारी ने इसे पुलिस कस्टडी में की गई मारपीट से हत्या करार दिया।

हैरानी इस बात की है कि पुलिस को सूचना जिन्होंने दी थी, उन्हें ही पुलिस ने आरोपी की तरह पीटा और बेरहमी से मारपीट करते हुए उनकी जान ले ली। इस मामले के बाद मरवाही में हंगामा मचा हुआ है, मामले ने राजनीतिक रंग इसलिए ले लिया क्योंकि चंद्रिका प्रसाद तिवारी भाजपा समर्थक थे, वहीं उनका जिनसे विवाद हुआ है वह यानी तुलसी तिवारी और गंगा तिवारी कांग्रेसी है। आरोप लगाया जा रहा है कि कांग्रेस नेताओं के दबाव में ही पुलिस ने चंद्रिका प्रसाद तिवारी के साथ यह बर्बरता की है। पुलिस ने सोचा नहीं होगा कि इस मारपीट से चंद्रिका प्रसाद की जान चली जाएगी। अब इस मामले में लीपापोती शुरू हो चुकी है। आरोपों के बाद सीएम के निर्देश पर हालांकि दोषी थानेदार ई एक्का को लाइन अटैच कर दिया गया है और पुलिस का दावा है कि उस वक्त थाने में थानेदार थे ही नहीं। अगर ऐसा है तो फिर अधिकारियों को यह जवाब भी देना होगा कि आखिर जब थानेदार निर्दोष है तो फिर उन्हें लाइन अटैच क्यों किया गया।

मरवाही थाने में किसान पिता पुत्र की पुलिस द्वारा पिटाई के बाद पिता की मौत हो जाने की घटना ने राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया है ।आरोप लग रहा है कि कांग्रेसी नेताओं के दबाव में ही मरवाही थाना प्रभारी ई एक्का ने दिल के मरीज चंद्रिका प्रसाद तिवारी की बेरहमी से पिटाई की और उसे सही समय पर इलाज के लिए अस्पताल नहीं। भेजा इस घटना के बाद एक तरफ जहां मरवाही में हंगामा मचा हुआ है वहीं इसका असर बिलासपुर में भी उस वक्त दिखा जब किसी चौकानेवाले खुलासे का दावा करते हुए भाजपा कार्यालय में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने इस घटना का जिक्र करते हुए आरोपी थाना प्रभारी ई एक्का पर धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज करने की मांग कर डाली

इस घटना के साथ जोड़ते हुए धरमलाल कौशिक ने प्रदेश की कानून व्यवस्था चरमराने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में अराजकता का माहौल है। रायपुर में गोली चलती है ,बच्चे दिनदहाड़े किडनैप किए जा रहे हैं, सरेआम लड़कियों का बलात्कार हो रहा है। पुलिस थाने में लोगों की जान ली जा रही है। 3 महीने में ही पूरे प्रदेश की स्थिति चिंताजनक हो चुकी है।

इस मामले में भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस लेने के बाद तुरंत ही एसपी कार्यालय में एसपी अभिषेक मीणा भी पत्रकारों से रूबरू हो गए और उन्होंने अपनी महकमे के पुलिस अधिकारी को बचाने के लिए लीपापोती शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि आरोप कोई भी लगाए , लेकिन केवल आरोपों की वजह से कार्यवाही नहीं की जा सकती। उन्होंने तो साफ कह दिया कि घटना के वक्त कथित आरोपी थानेदार थाने में थे ही नहीं ।वहीं उन्होंने यह भी जोड़ा कि घटना के बाद थानेदार को लाइन अटैच कर दिया गया है।

एक तरफ विभाग कथित आरोपी थानेदार को निर्दोष बता रहा है, वहीं विभाग उन पर लाइन अटैच की कार्यवाही भी कर रहा है। यही विरोधाभास कई सवालों को जन्म देता है । तमाम आरोपों के बाद एसपी ने हालांकि मामले में उच्च स्तरीय जांच की बात कही है, वहीं यह भी कहा कि मृतक के पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराई जाएगी ताकि कोई संदेह ना रहे।

लेकिन भाजपा नेता धरमलाल कौशिक ने इस मामले में दोषी थानेदार पर हत्या का मामला दर्ज करने और पूरे मामले की जांच किसी तटस्थ सक्षम अधिकारी से कराने की मांग की है ,क्योंकि उन्होंने साफ कह दिया कि जो मामले में लिप्त है ,वे हीं अगर जांच करेंगे तो फिर विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगेगा। कुल मिलाकर इस घटना के बाद मरवाही से लेकर बिलासपुर तक हंगामा मचा हुआ है। और इसी के साथ राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो चुकी है। जाहिर है चुनाव के इस मौसम में इस घटना को राजनीतिक रंग देने की पूरी कोशिश होगी। इसलिए देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह घटना और क्या क्या रंग दिखाता है।

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