बिलासपुर

पानी के लिए तरस रहे लोगों का फूटा गुस्सा , निगम के इंजीनियर को बनाया बंधक, हालात बेकाबू

आलोक

इस बार बिलासपुर शहर का पानी रसातल को जा रहा है । शहर का ऐसा कोई इलाका नहीं है जहां पानी की किल्लत ना हो । रेलवे क्षेत्र के पास बसे वार्ड क्रमांक 41 शंकर नगर की स्थिति बेहद भयावह है। यहां हालात चिराग तले अंधेरा वाली भी है, क्योंकि यहां मौजूद विशाल पानी टंकी से आसपास के कई कॉलोनियों में तो पानी की सप्लाई हो रही है लेकिन जिस वार्ड क्रमांक 41 शंकर नगर में यह टंकी मौजूद है वहा के रहवासी पानी के लिए तरस रहे हैं ।सुबह से रात तक सिर्फ पानी के लिए जद्दोजहद करते बच्चे से लेकर बूढ़े हर तरफ जहां नजर आते हैं। पिछले करीब तीन-चार महीनों से यहां टैंकर के माध्यम से ही जलापूर्ति की जा रही है । यहां सारे बोर फेल हो चुके हैं ,लिहाजा निगम के अधिकारी भी बेबस है और लाख कोशिशों के बावजूद यहां पानी उपलब्ध नहीं होने की स्थिति नागरिकों में आक्रोश पैदा कर रही है । बुधवार को हालात उस समय बेकाबू हो गए जब निगम के दो अधिकारी हालात का जायजा लेने शंकर नगर पहुंचे। लोगों को जैसे ही पता चला कि निगम के अधिकारी वहां आए हैं, तो उन्होंने अधिकारियों को घेर लिया और अपनी शिकायतों की बारिश कर दी । लंबे वक्त से प्यासे लोगों का गुस्सा चौतरफा फूटा। जिनके आगे निगम के दोनों अधिकारी बेबस गिड़गिड़ाते नजर आए। वार्ड क्रमांक 41 शंकर नगर के लोगों ने निगम के अधिकारियों से साफ पानी की मांग की। असल में यहां जो पानी उपलब्ध भी हो पा रहा है, वह बेहद मटमैला और इस्तेमाल के लायक भी नहीं है। लोगों का गुस्सा इस बात पर भी है कि यही मौजूद टंकी से हेमू नगर और अन्य इलाकों में तो पानी की निर्बाध सप्लाई की जा रही है, फिर शंकर नगर के साथ ही ऐसा भेदभाव क्यों ? अपनी मांग को पूरा कराने शंकर नगर के लोगों ने निगम के दोनों अधिकारियों को एक प्रकार से बंधक बना लिया। दोनों अधिकारियों को जमीन पर बिठाकर चारों तरफ से घेरकर लोगों ने शिकायतों की बौछार कर दी। यहां मोहल्ले के कई नेता भी इस अवसर पर बेहद सक्रिय होते नजर आए। खासकर राकेश सिंह, राजू, अजय यादव, अनुज सिंहा, गोलू यादव जैसे लोगों ने मौके पर चौका मारा। नागरिकों की आवाज के नाम पर कानून को हाथ में लेते हुए निगम के दोनों अधिकारियों को खासा परेशान किया गया। लोगों के आगे बेबस अधिकारियों ने एक-एक घर जाकर हालात को जाना समझा ,लेकिन लोगों को भी समझना होगा कि जब इंसानी गलतियों की वजह से भूजल पाताल की ओर जा रहा हो तो ऐसे में निगम के द्वारा भी कोई चमत्कार मुमकिन नहीं। इसके लिए तो जल संरक्षण ही एकमात्र उपाय है और ऐसा करने के लिए प्रशासन पर निर्भरता खत्म करनी होगी। आम आदमी को भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हुए इस दिशा में पहल करने की जरूरत है। नहीं तो ऐसे नजारे हर साल सामने होंगे।

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