
दर्शन में असुविधा ना हो इसके लिए जिगजैग बैरिकेडिंग की गई है, वहीं दर्शन की विशेष व्यवस्था भी ट्रस्ट द्वारा की जा रही है
बिलासपुर प्रवीर भट्टाचार्य
शनिवार से चैत्र नवरात्रि आरंभ हुई। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की गई ।सभी दुर्गा मंदिरों में घट स्थापना के साथ नौ दिवसीय विशेष पूजा अर्चना की शुरुआत इसी के साथ हो गयी।इसी दिन सिद्ध शक्तिपीठ श्री महामाया देवी मंदिर रतनपुर में भी विधि विधान के साथ वासंती नवरात्र के विशेष पूजा अनुष्ठान का आरंभ हुआ ।अंचल के सबसे प्रसिद्ध और आस्था के सबसे बड़े केंद्र महामाया मंदिर में सुबह 11:35 पर मांगलिक स्नान, द्वार पूजा, धूप परिक्रमा के साथ घट स्थापना की गई । अभिजित मुहूर्त पर यहां देवी का षोडशोपचार पूजन किया गया। इस विशेष पूजा अर्चना में बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए। यहां सबसे प्रथम मां भद्रकाली के सामने अखंड मनोकामना ज्योत प्रचलित की गई । चैत्र नवरात्र के इस पावन अवसर पर यहां विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान भी हो रहे हैं। जिनमें दुर्गा सप्तशती का पाठ, श्रीमद् देवी भागवत पाठ एवं शत चंडी यज्ञ शामिल है । रतनपुर में स्थित देवी लक्ष्मी और सरस्वती के अलौकिक रूप का यहां विशेष श्रृंगार किया गया है, जिनके दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आने वाले 9 दिनों तक यहाँ पहुंचेंगे ।यहां की प्रमुख विशेषताओं में से एक है कि यहां हजारों की संख्या में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वल्लित किए जाते हैं। यहां की ख्याति ऐसी है कि सरहद पार से भी लोग यहां मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित करवाते हैं ।
इस वर्ष यहां 25,201 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए हैं ,जिनमें 4000 घृत ज्योति कलश शामिल है। शेष 21,201 ज्योति कलश तेल के हैं। नवरात्रि के पहले दिन ही यहां दर्शन के लिए भक्त उमड़ने लगे, जिनके लिए प्रबंधन द्वारा विशेष व्यवस्था की गई है । गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए यहां 40 वॉलिंटियर को नियुक्त किया गया है जो यहां पहुंचने वालों को निरंतर पेयजल उपलब्ध कराएंगे। सुरक्षा के मद्देनजर यहां 48 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं ताकि असामाजिक तत्वों के साथ चोरी और लूटपाट करने वालों पर भी नजर रखी जा सके। हर बार की तरह यहां पुलिस और स्वास्थ्य विभाग का स्टॉल लगाया गया है, ताकि लोगों को आपात स्थिति में सेवा प्रदान की जा सके। श्रद्धालु दूरदराज के क्षेत्रों से रतनपुर पहुंच सके, इसलिए 50 विशेष बसों की व्यवस्था इस नवरात्र पर की गई है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा परिसर में ही स्टॉल लगाया गया है जहां हर रोज रात 12:00 बजे तक चिकित्सक उपलब्ध रहेंगे, ताकि दर्शनार्थियों को किसी तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी आए तो चिकित्सक उनका उपचार कर सके। हर बार की तरह यहां महामाया देवी ट्रस्ट की ओर से भक्तों के लिए कई विशेष व्यवस्था की गई है। यहां भागवत मंच पर भागवत कथा पाठ का भी आरंभ किया गया है ।दूर दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशाल भंडारे का भी आयोजन निशुल्क किया जा रहा है, जिसमें दोपहर 12:00 से लेकर 3:00 बजे तक और शाम 7:00 बजे से लेकर 10:00 बजे तक भक्त देवी का प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं। इसके अलावा भोजन प्रसाद कूपन भी प्रतिदिन दोपहर 12:00 से 3:00 बजे तक वर्षभर उपलब्ध कराया जाता है। यहां सामान्य दर्शन के साथ सप्तमी कालरात्रि दर्शन की भी विशेष व्यवस्था की जा रही है, जिस दिन दूर दूर से श्रद्धालु पदयात्रा कर यहां पहुंचेंगे । इस वर्ष शुक्रवार 12 अप्रैल को यह विशेष अवसर होगा ।13 अप्रैल शनिवार को को धूप परिक्रमा यज्ञ वेदी पूजन महा अष्टमी पूजन हवन पूर्णाहुति की जाएगी तो वहीं रविवार महानवमी पूजन के साथ देवी का राजषी श्रृंगार, कन्या भोज और ब्रह्मभोज का आयोजन किया जाएगा।
अंचल के इस सबसे प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु चैत्र नवरात्र पर पहुंचेंगे। दर्शन में असुविधा ना हो इसके लिए जिगजैग बैरिकेडिंग की गई है, वहीं दर्शन की विशेष व्यवस्था भी ट्रस्ट द्वारा की जा रही है। सबसे बड़ी चुनौती कालरात्रि दर्शन के दौरान पहुंचने वाले हजारों श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था करने को लेकर है। जिसमें ट्रस्ट के साथ जिला प्रशासन भी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहा है।