रतनपुरहादसा

स्कूल प्रबंधन की लापरवाही से छात्रा झुलसी, 3 दिनों से हैंडपंप में आ रहा था करेंट, प्रधान पाठक ने कहा, हंगामा क्यों करते हो , बच्ची मरी तो नहीं

उदय सिंह

लोग अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ाई करने भेजते हैं , लेकिन स्कूलों में किस कदर लापरवाही बरती जा रही है उसका उदाहरण नवागांव के पौड़ी में स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में नजर आया, जहां मौजूद सबमर्सिबल पंप से बच्चे पानी पीते हैं लेकिन यहां सबमर्सिबल पंप से लगा बिजली का तार जगह-जगह से कटा हुआ था और इस वजह से पूरे सबमर्सिबल पाइप में बिजली दौड़ रही थी। जिसकी चपेट में आने से कक्षा छठवीं की 12 वर्षीय छात्रा अनामिका जायसवाल बुरी तरह झुलस गई।

जिसे इलाज के लिए पहले तो रतनपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया लेकिन बाद में उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे रिम्स रेफर कर दिया गया। शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पौड़ी के स्कूल में मौजूद हैंडपंप में लगे सबमर्सिबल पंप में 3 दिनों से लगातार करंट लगने की बात बच्चों ने कही थी, लेकिन प्रधान पाठक शंकर लाल भारद्वाज और सहायक शिक्षक राम प्रकाश जयसवाल ने बच्चों की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। जिसके चलते जब सुबह स्कूल पहुंची अनामिका जयसवाल पानी पीने पंप पर गई तो हैंडपंप को छूते ही वह उससे चिपक गई।संजोग से पास ही मौजूद उसके भाई ने सूझबूझ दिखाते हुए एक डंडे की मदद से उसे छुड़ाया। जिस कारण से उसकी जान बच पाई, लेकिन बिजली के झटके से बच्ची के हाथ-पैर और कंधे के कई हिस्से झुलस गए। जब बच्ची के परिजनों ने इस संबंध में प्रधान पाठक से शिकायत की तो उन्होंने बड़ी बेशर्मी से कहा कि तुम्हारी बच्ची मरी तो नहीं है। प्रधान पाठक के ऐसे अमानवीय व्यव्हार से लोग हैरान रह गए और इसकी शिकायत शनिवार को रतनपुर थाने में की गई।

बच्ची की गंभीर स्थिति को देखते हुए रतनपुर टीआई श्याम कुमार सिदार ने तुरंत बच्ची को इलाज के लिए अस्पताल भेजा। वहीं बच्ची के पिता का कहना है कि इस दुर्घटना के पीछे स्कूल के प्रधान पाठक और शिक्षक पूरी तरह जिम्मेदार है ।आज उनकी बच्ची इस चपेट में आयी है कल और बच्चे उनकी लापरवाही के चक्कर में करंट की चपेट में आ सकते हैं। जिससे किसी की जान जा सकती है। शिक्षकों द्वारा बिजली के तार मैं सुधार की ज़रूरत तक महसूस नहीं की गई।

अनामिका जयसवाल अपने चाचा के घर रहकर पढ़ाई करती है। बचपन में ही मां का साया सिर से उठ जाने के बाद बिन मां की बच्ची को पिता के प्यार से भी इसलिए महरूम होना पड़ा क्योंकि पिता पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी। चाचा ने उसके बेहतर भविष्य के लिए उसका दाखिला स्कूल में कराया लेकिन उन्हें क्या पता था कि यही स्कूल उनकी बच्ची के लिए जानलेवा साबित होगा। इस मामले में प्रधान पाठक का रवैया बेहद शर्मनाक और ना काबिले माफ है ,इसलिए स्कूल शिक्षा विभाग को भी इस बारे में संज्ञान लेकर ऐसे अमानवीय प्रधान पाठक पर कड़ी कार्यवाही करनी होगी, साथ ही यह पुख्ता करना होगा कि भविष्य में इस तरह की दुर्घटना इस स्कूल में ना हो।

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